पृष्ठ:कामना.djvu/७९

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कामना

लालसा-तो क्या मै सचमुच सुंदरी हूँ ?

विलास-इसमे प्रमाण की आवश्यकता नहीं ।

लालसा-परंतु मै इसको जॉच लूंगी, तब मानूंगी । दो-एक लोगो से पूछ लूं। कही मुझे झूठा प्रलोभन तो नहीं दिया जा रहा है ।

विलास-लालसा, मैं मानता हूँ। (स्वगत) अब तो भाव और भाषा मे कृत्रिमता आ चली।

लालसा-फिर किसी दिन, मुझे अपना मूल्य लगा लेने दीजिये।

विलास-अच्छा, एक बार वही गान तो सुना दो।

लालसा-जब मंत्री महाशय की आज्ञा है, तब तो पूरी करनी ही पड़ेगी। अच्छा, एक पात्र तो ले लीजिये।

(गाती है-पिलाती है)-

किसे नहीं चुभ जाय 'इत्यादि

विलास-कोई नहीं, कोई नहीं, इस अस्त्र से कौन बच सकता है ? अच्छा तो फिर किसी दिन ।

(लालसा विचित्र भाव से सिर हिला देती है। विलास जाता है)

(लीला का प्रवेश)

लालसा-आओ सखी, बहुत दिनों में दिखाई पड़ी।

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