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कायाकल्प]
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का स्वभाव, विचार, सिद्धान्त सभी आपसे मिलते हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि आप दोनों एक साथ रहकर सुखी होंगे। उसे कपड़े का शौक नहीं, गहने का शौक नहीं; अपनी हैसियत को बढ़ाकर दिखाने की धुन नहीं। आप के साथ वह मोटे-से-मोटे वस्त्र और मोटे-से-मोटे भोजन में सन्तुष्ट रहेगी। अगर आप इसे अत्युक्ति न समझें, तो मैं यहॉ तक कह सकता हूँ कि ईश्वर ने आपको उसके लिए बनाया है और उसको आपके लिए। सेवा-कार्य में वह हमेशा आपसे एक कदम आगे रहेगी। अँगरेजी, हिन्दी, उर्दू, संस्कृत पढ़ी हुई है; घर के कामों में इतनी कुशल है कि मैं नही समझता, उसके बिना मेरी गृहस्थी कैसे चलेगी? मेरी दो बहुएँ हैं, लड़की की मा है; किन्तु सब-की-सब फूहड़; किसी में भी वह तमीज नहीं। रही शक्ल सूरत, वह भी आपको इस तसवीर से मालूम हो जायगी।

यह कहकर यशोदानन्दन ने कहार से तसवीर मॅगवायी और चक्रधर के सामने रखते हुए बोले— मै तो इसमें कोई हरज नहीं समझता। लडके को क्या खबर है कि मुझे बहू कैसी मिलेगी। स्त्री मे कितने ही गुण हों, लेकिन यदि उसकी सूरत पुरुष को पसन्द न आयी, तो वह उसकी नजरो से गिर जाती है, और उनका दाम्पत्य-जीवन दुःखमय हो जाता है। मैं तो यहॉ तक कहता हूँ कि वर और कन्या में दो चार बार मुलाकात भी हो जानी चाहिए। कन्या के लिए तो वह अनिवार्य है। पुरुष को स्त्री पसन्द न आयी, तो वह और शादियाँ कर सकता है। स्त्री को पुरुष पसन्द न आया, तो उसकी सारी उम्र रोते ही गुजरेगी।

चक्रधर के पेट में चूहे दौडने लगे कि तसवीर क्योंकर ध्यान से देखूँँ। वहाँ देखते शरम आती थी, मेहमान को अकेला छोडकर घर में न जाते बनता था। कई मिनठ तक तो सब्र किये बैठे रहे, लेकिन न रहा गया। पान की तश्तरी और तसवीर लिये हुए घर में चले आए। चाहते थे कि अपने कमरे में जाकर देखें कि निर्मला ने पूछा— क्या बातचीत हुई? कुछ देंगे दिलायेंगे कि वही ५१) वालो मे हैं?

चक्रधर ने उग्र होकर कहा— अगर तुम मेरे सामने देने दिलाने का नाम लोगी तो जहर खा लूँगा।

निर्मला— वाह रे! तो क्या पचीस बरस तक यों ही पाला-पोसा है क्या? मुँह घो रखें!

चक्रधर— तो बाजार में खडा करके वेच क्यो नहीं लेती? देखो, कै टके मिलते हैं?

निर्मला— तुम तो अभी से ससुर के पक्ष मे मुझसे लड़ने लगे। व्याह के नाम ही में कुछ जादू है क्या!

इतने में चक्रधर को छोटी बहन मगला तश्तरी में पान रखकर उनको देने लगा तो कागज में लिपटी हुई तस्वीर उसे नजर आयी। उसने तस्वीर ले ली और लालटेन के सामने ले जाकर बोली— यह बहू की तस्वीर है। देखो, कितनी सुन्दर है!