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कायाकल्प ]
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राधा-~वही तो उसके कर्ता-धर्ता थे, भला वही क्यों न होते ? हमारा तो विचार है कि वही इस फिसाद की जड़ हैं।

यशोदा--अगर महमूद मे सचमुच यह काया पलट हो गयी है, तो मैं यही कहूँगा कि धर्म से ज्यादा द्वेष पैदा करनेवालो वस्तु ससार में नहीं। और कोई ऐसी शक्ति नहीं है, जो महमूद में द्वेष के भाव पैदा कर सके । चलो, पहले उन्हीं से बातें होगी। मेरे द्वार पर तो इस वक्त बड़ा जमाव होगा।

राधा-जी हॉ, इधर आपके द्वार पर जमाव है, उधर ख्वाजा साहब के ! बीच मे थोडी-सी जगह खाली है। ' तीनों श्रादमी तांगे पर बैठकर चले | सड़कों पर पुलिस के जवान चक्कर लगा रहे थे । मुसाफिरों की छड़ियाँ छीन ली जाती थी। दो-चार आदमी भी साथ न खड़े होने पाते थे। सिपाही तुरन्त ललकारता था। दुकानें सब बन्द थीं, कुंजड़े भी साग वेचते न नजर आते थे । हॉ, गलियों में लोग जमा हो-होकर बातें कर रहे थे।

कुछ दूर तक तीनो श्रादमी मोन धारण किये बैठे रहे। चक्रधर शक्ति होकर इधर उधर ताक रहे थे। जरा भी घोड़ा रुक जाता, तो उनका दिल धड़कने लगता कि किसी ने तॉगा रोक तो नहीं लिया, लेकिन यशोदानन्दन के मुख पर ग्लानि का गहरा चिन्ह दिखायी दे रहा था। उनके मुहल्ले में आज तक कभी कुरबानी न हुई थी। हिंदू और मुसलमान का भेद ही न मालूम होता था। उन्हें आश्चर्य होता था कि और शहरों में कैसे हिन्द-मुसलमानों में झगडे हो जाते हैं। और तीन ही दिन मे यह नौबत आ गयी।

सहसा उन्होंने उत्तेजित होकर कहा-राधामोहन, देखो, मै तो यहीं उतरा जाता हूँ ! जरा महमूद से मिलूंगा। तुम इन वावू साहब को लेकर घर जाओ । श्राप मेरे एक मित्र के लड़के हैं, यहाँ सैर करने आये हैं। बैठक में आपकी चारपाई डलवा देना और देखो, अगर देवसयोग से मैं लौटकर न आ सकूँ, तो घबराने की बात नहीं । जब लोग खून खच्चर करने पर तुले हुए हैं, तो सब कुछ सम्भव है और में उन अाद-मियों में नहीं हूं कि गौ को हत्या होते देखू और शान्त खड़ा रहूँ। अगर मै लाटकर न पा सक, तो तुम घर में हला देना कि अहल्या का पाणि ग्रहण आप ही के साथ, कर दिया जाय।

यह कहकर उन्होंने कोचवान से ताँगा रोकने को कहा।

चक्रधर में भी आपके साथ ही रहना चाहता हूँ।

यशोदा-नही भैया, तुम मेरे मेहमान हो, तुम्हें मेरे साथ रहने की जरूरत नहीं। तुम चलो, में भी अभी पाता हूँ।

चक्रधर-क्या पार समझते है कि गौ रक्षा आप ही का धर्म है, मेरा धर्म नहीं ?

यशोदा-नहीं, यह बात नहीं वेटा । तुम मेरे मेहमान हो और तुम्हारी रक्षा करना मेरा धर्म है।