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कायाकल्प]
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रानी झूले की डोरी पकड़कर खड़ी हो गयीं और एक हिरन के बच्चे को बुलाकर उसका मुंह सहलाने लगीं। सहसा कदमों की आहट हुई। रानी मेहमान का स्वागत करने के लिए द्वार पर आयीं पर यह राजकुमार न थे, मनोरमा थी। रानी को कुछ निराशा तो हुई; किन्तु मनोरमा भी आज के अभिनय की पात्री थी। उन्होंने उसे बुलवा भेजा था।

रानी-बड़ी देर लगायी ! तेरी राह देखते-देखते आँखें थक गयीं।

मनोरमा-पानी के मारे घर से निकलने की हिम्मत ही न पड़ती थी।

रानी-राजकुमार ने न जाने क्यों देर की । श्रा, तब तक कोई गीत सुना।

यहीं हौज के किनारे एक सगमरमर का चबूतरा था। दोनों जाकर उस पर बैठ गयीं।

रानी-क्या मैं बहुत बुरी लगती हूँ?

मनोरमा-आप ? श्राप तो सौन्दर्य की देवी मालूम होती हैं !

रानी-चल, झूठी। मुझसे अपना रूप बदलेगी?

मनोरमा-मैं तो आपकी लौंडी की तरह भी नहीं हूँ। मुझे आपके साथ बैठते शरम आती है।

रानी-अच्छा, बता, ससार मे सबसे अमूल्य रत्न कौन-सा है ?

मनोरमा-कोहनूर हीरा होगा, और क्या ?

रानी-दुत् पगली ! संसार की सबसे उत्तम, देव-दुर्लभ वस्तु यौवन है । बता, तूने किसी से प्रेम किया है ?

मनोरमा-जाइए, मै आपसे नहीं बोलती ।

रानी-आह ! तूने तीर मार दिया। यही बिगड़ना तो पुरुपों पर जादू का काम करता है । काश, मेरे मुँह से ऐसी बातें निकलती ! सच बता, तूने किसी युवक से कभी मि किया है ? अच्छा था, आज मैं सिखा दूं।

मनोरमा-आप मुझे छेड़ेंगी, तो मै चली जाऊँगी।

रानी-ऐं, तो इतना चिढ़ती क्यों है ? ऐसी कोई बालिका तो नहीं । देख, सबसे हली बात है--कटाक्ष करने की कला में निपुण होना । जिसे यह कला श्राती है, वह हे चन्द्रमुखी न हो; फिर भी पुरुष का हृदय छीन सकती है। सौन्दर्य स्वयं कुछ नहीं र सकता, उसी तरह जैसे कोई सिपाही शस्त्रों से कुछ नहीं कर सकता, जबतक वह उन्हें लाना न जानता हो । चतुर खिलाड़ी एक बॉस की छड़ी से वह काम कर सकता है,।दूसरे सगीन और बन्दूक से भी नही कर सकते । मान ले, मैं तेरा प्रेमी हूँ। वता, री ओर कैसे ताकेगी?

मनारमा ने लजा से सिर झुका लिया। उसे रानी की रसिकता पर कुतूहल हो रहा वह कितनी ही वार यहाँ आयी थी, पर रानी को कमी इतना मदमत्त न पाया था। राना ने उसकी ठुडडी पकड़कर मुँह उठा दिया और बोली-पगली, इस भांति