दूसरा अध्याय विनिमय . यह बात साफ़ है कि माल अब मण्डी में जाकर अपने पाप अपना विनिमय नहीं कर सकते। इसलिए इस मामले में हमें उनके संरक्षकों का सहारा लेना होगा, जो कि उनके मालिक भी होते हैं। माल वस्तु होते हैं, और इसलिये उनमें मनुष्य का. प्रतिरोध करने की शक्ति नहीं होती। यदि उनमें नम्रता का प्रभाव हो, तो मनुष्य बल-प्रयोग कर सकता है। दूसरे शब्दों में, बह जबर्दस्ती उनपर अधिकार कर सकता है। इसलिये कि इन वस्तुओं के बीच मालों के रूप में सम्बंध स्थापित हो सके, यह सरूरी है कि उनके संरक्षक ऐसे व्यक्तियों के रूप में एक दूसरे के साथ सम्बंध स्थापित करें, जिनकी इच्छा इन वस्तुओं का नियमन करती हो, और इस तरह का व्यवहार करें कि उनमें से किसी को भी दोनों की रक्षामन्त्री से की हुई कार्रवाई के सिवा और किसी तरह दूसरे का माल हरियाने का मौका न मिले और न किसी को अपने माल से हाथ ही धोना पड़े। प्रतः, मालों के संरक्षकों को एक दूसरे के निजी स्वामित्व के अधिकार को मानना पड़ेगा। यह कानूनी सम्बंध, जो इस प्रकार अपने को किसी समझौते के रूप में व्यक्त करता है, चाहे वह समझौता किसी विकसित कानूनी प्रणाली का अंग हो या न हो- वो इच्छामों का सम्बंध होता है, और वह उन दोनों के वास्तविक पार्षिक सम्बंध का प्रतिविम्ब मात्र ही होता है। यह प्रार्षिक सम्बंध ही प्रत्येक ऐसी कानूनी कार्रवाई की विषय-वस्तु को निर्धारित करता है। व्यक्तियों का एक दूसरे के लिये केवल मालों के प्रतिनिधियों के रूप में 1 . 1१२ वीं सदी में, जो कि अपनी धर्म-भीरू वृत्ति के लिए विख्यात थी, कुछ बहुत ही नाजुक चीजें भी मालों में गिनी जाती थीं। चुनांचे, उस काल के एक फ्रांसीसी कवि ने लांदित की मण्डी में मिलने वाले सामान में न सिर्फ कपड़े, जूते, चमड़ा, खेती के मौजार मादि गिनाये है, बल्कि "femmes folles de leur corps" (वेश्यानों) का भी जिक्र . किया है। धों इस तरह शुरू करते है कि मालों के उत्पादन से मेल खाने वाले कानूनी सम्बंधों से न्याय का अपना मादर्श , "justice éternelle" ("शाश्वत न्याय") की अपनी कल्पना, उधार ले लेते हैं, और यह भी कहा जा सकता है कि इस तरह वह यह साबित कर देते है-और इससे सभी भले नागरिकों को बड़ी सांत्वना भी मिलती है-कि मालों का उत्पादन उत्पादन का उतना ही शाश्वत रूप है, जितना शाश्वत न्याय है। उसके बाद वह पलटकर मालों के वास्तविक उत्पादन में और उससे मेल खाने वाली कानूनी व्यवस्था में अपने इस मादर्श के अनुसार सुधार करना चाहते हैं। उस रासायनिक के बारे में हमारी क्या राय होगी, जो पदार्य के -
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