११६ पूंजीवादी उत्पादन . तक कि वह खुद श्रम की पैराबार है और इसलिए जब उसके मूल्य में हेर-फेर होने की हमेशा सम्भावना रहती है। अब सबसे पहले तो यह बात बिल्कुल साफ है कि सोने के मूल्य में परिवर्तन हो जाने से पान के मापदण के रूम में उसके काम में कोई अन्तर नहीं होता। उसके इस मूल्य में चाहे जितना परिवर्तन हो जाये, पातु की अलग-अलग मात्रामों के मूल्यों का अनुपात बराबर एक सा ही रहता है। सोने का मूल्य चाहे जितना नीचे क्यों न गिर जाये, १२ माँस सोने का मूल्य तब भी १ माँस सोने के मूल्य का बारह गुना ही रहेगा। जहां तक नामों का सम्बंध है, हम केवल सोने की विभिन्न मात्रामों के प्रापसी सम्बंध पर ही विचार करते हैं। दूसरी पोर, चूंकि एक मांस सोने का मूल्य घटने या बढ़ जाने से उसके तोल में कोई तबदीली नहीं पाती, इसलिए उसके पशेष भाजकों के तौल में भी कोई परिवर्तन नहीं पा सकता। इस प्रकार सोने के मूल्य में चाहे जितना हेरफेर हो जाये, वह नामों के परिवर्तनीय मापवण केस में सवा एक सा काम देता है। दूसरी बात यह है कि सोने के मूल्य में परिवर्तन हो जाने से मूल्य की माप के रूप में भी उसके कामों में कोई अन्तर नहीं पाता। इस परिवर्तन का सभी मालों पर एक साथ प्रभाव पड़ता है, और इसलिए, caeteris paribus (अन्य बातें यदि समान रहती है, तो), तमाम मालों के पारस्परिक सापेन मूल्य inter se (ज्यों के त्यों ही) रहते हैं, हालांकि ये मूल्य अब सोने के पहले से ऊंचे या नीचे दामों में व्यक्त किये जाते हैं। किसी भी माल के मूल्य का अनुमान किसी अन्य माल के उपयोग मूल्य की एक निश्चित मामा के स में लगाते हुए हम वो कुछ करते हैं, वही हम किसी भी माल के मूल्य का सोने केस में अनुमान लगाते समय करते हैं। यहां भी हम इससे अधिक और कुछ नहीं मानकर चलते कि किसी भी काल में सोने की एक निश्चित मात्रा के उत्पादन में मम की एक खास मात्रा खर्च होती है। यहां तक बामों के ग्राम उतार-चढ़ाव का सम्बंध है, ये प्राथमिक सापेक्ष मूल्य के उन नियमों माधीन रहते हैं, जिनकी हम इसके पहले एक अध्याय में छानबीन कर चुके हैं। सामान्य रूप से मालों के दाम तमी पढ़ सकते हैं, जब कि या तो मुद्रा का मूल्य स्थिर रहते हुए मालों का मूल्य बढ़ पाय और या मालों का मूल्य स्थिर रहते हुए मुद्रा का मूल्य घट जाय। दूसरी तरफ, सामान्य रूप से मालों के नाम तभी गिर सकते हैं, जब कि या तो मुद्रा का मूल्य स्थिर रहते हुए मालों का मूल्य घट जाय और या मालों का मूल्य स्थिर रहते हुए मुद्रा का मूल्य बा बाप । प्रतएव, इससे यह निष्कर्ष कदापि नहीं निकलता कि मुद्रा का मूल्य बढ़ पाने पर मानों के बाम लाक्षिमी तौर पर उसी अनुपात में घट जाते हैं या मुद्रा का मूल्य घट जाने पर मालों के दाम लाजिमी तौर पर उसी अनुपात में बढ़ जाते हैं। इस प्रकार का परिवर्तन केवल उन्हीं मालों के दामों में होता है, जिनका मूल्य स्थिर रहता है। मिसाल के लिए, जिन मालों का मूल्य मुद्रा के मूल्य की पति के साथ-साथ और उसी अनुपात में बढ़ जाता है, उनके गानों में कोई परिवर्तन नहीं होता। यदि उनका मूल्य मुद्रा के मूल्य की अपेक्षा धीमी या तेज गति . अंग्रेजी लेखकों ने तो मूल्य की माप (measure of value) और दाम के मापदण (standard of value) को इस बुरी तरह एक-दूसरे से उलझा दिया है कि उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। उनकी रचनामों में लगातार एक के नाम की जगह दूसरे के नाम का पौर एक के कामों की जगह दूसरे के कामों का वर्णन मिलता है।
पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/११९
दिखावट