पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/१२२

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मुद्रा, या मालों का परिचलन ११६ लिए यह नितान्त पावश्यक है कि वह यह भौतिक एवं निरर्षक, किन्तु साप ही विशुद्ध सामाजिक रूप धारण कर ले। वाम किसी माल में मूर्त होने वाले मम का मुद्रा-नाम होता है। इसलिए जो रकम किसी माल का दाम है, उसके साथ उस माल की सम-मूल्यता की अभिव्यंजना एक पुनरुक्ति मात्र होती है, जैसे कि किसी भी माल के सापेन मूल्य की अभिव्यंजना में सामान्यतया वो मालों की सम-मूल्यता ही व्यक्त की जाती है। किन्तु बाम पचपि माल के मूल्य के परिमाण का व्याख्याता होने के कारण मुद्रा के साथ उसके विनिमय के अनुपात का व्याख्याता होता है, तपापि उससे यह निष्कर्ष नहीं निकलता कि विनिमय के इस अनुपात का व्याख्याता अनिवार्य रूप से माल के मूल्य के परिमाण का व्याख्याता भी होता है। मान लीजिये कि क्रमशः १ क्वार्टर गेहूं और २ पॉर (लगभग भाषा प्रॉस सोना) सामाजिक दृष्टि से पावश्यक मन की दो समान मात्रामों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस हालत में २ पाँर १ क्वार्टर गेहूं के मूल्य परिमाण की मुद्रा के रूप में अभिव्यंजना होंगे, यानी २ पाँउ १ क्वार्टर गेहूं का वाम होंगे। इस गलत विचार से पैदा हुई कि सोने के कुछ निश्चित वजनों को हिसाब रखने के कुछ नाम दे देना और इन वजनों का मूल्य ते कर देना एक ही बात है।" (Karl Marx, “Zur Kritik der Politischen Oekonomie", qo471) 1देखिये "Zur Kritik der Politischen Oekonomie" ('पर्यशास्त्र की समीक्षा का एक प्रयास') में "Theorien von der Masseinheit des Geldes" ('मुद्रा की माप की इकाई के सिद्धान्त'), पृ. ५३ और उसके प्रागे के पृष्ठ । सोने या चांदी के कुछ निश्चित वजनों को पहले से जो कानूनी नाम मिल गये हैं, वही नाम इन धातुओं के थोड़े कम या ज्यादा वजनों को देकर मुद्रा के टकसाली दाम को कम कर देने या बढ़ा देने की कुछ अजीबोगरीब धारणायें देखने में माती हैं। जहां तक कि इन धारणाओं का कम से कम यह उद्देश्य नहीं है कि भद्दे आर्थिक दांव-पेंच के जरिये सार्वजनिक तथा निजी दोनों ही प्रकार के ऋणदातामों की गिरह काटी जाये, बल्कि जहां तक कि वे नीम हकीमों के आर्थिक नुसखों के रूप में पेश की जाती हैं, वहां तक उनपर विलियम पेटी ने अपनी रचना "Quantulumcunque concerning money: To the Lord Marquis of Halifax, 1682" ('मुद्रा के विषय में एक गुटका : हैलिफ़ैक्स के लार्ड मार्क्सिस के नाम, १६८२') में इतने मुकम्मिल तौर पर विचार किया है कि यदि हम उनके बाद को पाने वाले अनुयायियों का नाम न भी लें, तो उनके तात्कालिक अनुयायी भी-सर डडली नर्थ और जान लॉक-लाख कोशिश करने के बाद उनके शब्दों में केवल पानी ही मिला पाये हैं। पेटी ने लिखा है: "यदि ऐलान जारी करके किसी जाति की दौलत दस गुना बढ़ायी जा सकती है, तो फिर यह बड़े पाश्चर्य की बात है कि हमारे गवर्नरों ने बहुत पहले ही ऐसे ऐलान नहीं जारी कर दिये" (उप • पु०, पृ. ३६ )। Ou bien, il faut consentir à dire qu'une valeur d'un million en argent vaut plus qu'une valeur égale en marchandises" [" यदि ऐसा न होता, तो हमें यह मानना पड़ता कि मुद्रा के रूप में दस लाख के मूल्य की बिकाऊ सामान के रूप में समान मूल्य की अपेक्षा ज्यादा कीमत होती है"] (Le Trosne, उप० पु०, पृ. ९१९), जो यह apient of Trade for "qu'une valeur vaut plus qu'une valeur égale" ("facet मूल्य की उसके समान मूल्य से ज्यादा कीमत होती है")।

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