पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/१२६

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मुद्रा, या मालों का परिचलन १२३ - उपयोग मूल्य तथा मूल्य की इकाइयां होते हैं। लेकिन भिन्नतामों की यह एकता को विरोधी ध्रुवों पर प्रकट होती है और प्रत्येक ध्रुव पर विरोधी ढंग से प्रकट होती है। ध्रुव होने के कारण दोनों अनिवार्य रूप से परस्पर विरोधी सम्बद और वैसे ही सम्बड होते हैं। समीकरण के एक तरफ एक साधारण माल होता है, जो वास्तव में एक उपयोग मूल्य है। उसका मूल्य बाम के रूप में केवल भावगत ढंग से व्यक्त होता है, वाम के जरिये उसका अपने मूल्य वास्तविक मूर्त रूप के तौर पर अपने विरोधी-सोने साथ समीकरण किया जाता है। दूसरी मोर, सोना अपनी पातुगत वास्तविकता में केवल मूल्य के मूर्त रूप में, पानी केवल मुद्रा के रूप में, गिना जाता है। सोना सोने के रूप में स्वयं विनिमय-मूल्य होता है। जहां तक उसके उपयोग-मूल्य का सम्बंध है, उसका केवल भावगत अस्तित्व होता है, जिसका प्रतिनिधित्व सापेक्ष मूल्य की अभिव्यंजनामों का वह कम करता है, जिसमें वह बाकी उन तमाम मालों के मुकाबले में खड़ा होता है, जिनके उपयोगों का कुल जोड़ सोने के विभिन्न उपयोगों का कुल बोड़ होता है। मालों के ये परस्पर विरोधी रूप के वास्तविक रूप है, जिनमें से मालों के विनिमय की प्रक्रिया को गुजरना पड़ता है और जिनमें से होकर वह सम्पन्न होती है। पाइये, अब हम किसी माल के मालिक-मिसाल के तौर पर, अपने पुराने मित्र, कपड़ा बनने वाले बुनकर-के साथ कार्यस्थल में-यानी मण्डी में-चलें। उसके २० गम कपड़े का एक निश्चित दाम है। मान लीजिये, उसका नाम २ पार है। वह कपड़े का २ पार के साथ विनिमय कर गलता है, और फिर पुराने ढंग का प्रावमी होने के नाते वह इसी नाम की एक पारिवारिक बाइबल के एवज में ये २ पार भी दे गलता है। कपड़े को, जो उसकी नबरों में महज एक माल है, केवल मूल्य का भण्डार है, वह सोने के एवज में दूसरे को दे गलता हैं; सोना कपड़े का मूल्प-रूप है, और इस रूप को वह फिर एक और माल के एवज में- यानी बाइबल के एवज में-ये गलता है, जो अब एक उपयोगी वस्तु के रूप में उसके घर में प्रवेश करेगी और घर के निवासियों का नैतिक स्तर ऊपर उठाने के काम में प्रायेगी। इस प्रकार विनिमय दो परस्पर विरोधी और फिर भी एक दूसरे के पूरक रूपान्तरणों द्वारा सम्पन्न होता है: एक रूपान्तरण में माल मुद्रा में बदल दिया जाता है, दूसरे में मुद्रा फिर माल में बदल दी जाती है। इस रूपान्तरण की ये दो अवस्थाएं दो अलग-अलग कार्य है, सुनकर जिनको सम्पन्न करता है। एक बार वह बेचता है, यानी मुद्रा के एवज में माल का विनिमय करता है। दूसरी बार वह खरीदता है, यानी एक माल के एवज में मुद्रा का विनिमय करता है। इन दो कार्यों में एकता भी है, क्योंकि वह खरीदने के लिए बेचता है। इस पूरे कार्य-कलाप का बुनकर के लिए यह नतीजा निकलता है कि अब उसके पास कपड़े के बजाय बाइबल होती है। शुरू में जो माल उसके पास था, अब उसके बजाय उसके . 1 «Ek 8t co0 .... kopos dyraueißeodan sávra, onoiv S'Hpáklaros, ka Bp anavrov, omep Prob xphpara rod xpretrov zpoobpw. ["जिस तरह सोना मालों में बदल जाता है और माल सोने में बदल जाते हैं, उसी तरह अग्नि सब वस्तुमों में बदल जाती है, और सब वस्तुएं अग्नि में बदल जाती है।"] (F. Lassalle, "Dle Philosophie Herakleitos des Dunkeln", Berlin, 1858, खण्ड १, पृ. २२२ ।) पृ. २२४ पर लसाल ने इस अंश के सम्बंध में जो नोट (नोट ३) दिया है, उसमें उसने गलती से सोने को मूल्य का प्रतीक मात्र बना दिया है।