मुद्रा, या मालों का परिचलन १३७ . सोने का मूल्य स्थिर मान कर चलेंगे ; बब कभी हम किसी माल के नाम का अनुमान लगाते है, तब क्षणिक रूप से सोने का मूल्य सचमुच स्थिर होता भी है। प्रतएव, पदि यह मानकर चला जाये कि सोने का मूल्य स्थिर है, तो परिचलन के माध्यम की मात्रा उन वामों के मोड़ से निर्धारित होती है जिनको मूर्त रूप देना होता है। अब यदि हम यह और मान में कि हर माल का नाम पहले से निश्चित है, तो वामों का जोड़ स्पष्टतया इस बात पर निर्भर करता है कि परिचलन में कितने माल भाग ले रहे हैं। यह समझने के लिये विमान पर बहुत ज्यादा बोर गलने की पावश्यकता नहीं है कि यदि एक क्वार्टर गेहूं की कीमत २ पौड है, तो १०० क्वार्टर गेहूं की कीमत २०० पोश होगी और २०० क्वार्टर गेहूं की ४०० पौड होगी, और इसी तरह प्रागे भी; और चुनाचे गेहूं के विकने पर वो मुद्रा उसका स्थान लेती है, उसकी मात्रा गेहूं की मात्रा की वृद्धि के साथ बढ़ती जायेगी। यदि मालों की मात्रा स्थिर रहती है, तो चालू मुद्रा की मात्रा इन मालों के दामों के उतार-चढ़ाव के अनुसार बदलेगी। दाम में परिवर्तन होने के परिणामस्वरूप रामों का कुल जोड़ घट-बढ़ जायेगा, और उसके अनुसार चालू मुद्रा की मात्रा भी घट-बढ़ जायेगी। यह प्रसर पैरा करने के लिये यह कदापि बकरी नहीं है कि तमाम मालों के नाम एक साथ बड़े या एक साप घट जायें। कुछ प्रमुख वस्तुओं के दामों में उतार या चढ़ाव इसके लिये काफी है कि सभी मालों के नामों का जोड़ एक सूरत में बढ़ जाये और दूसरी सूरत में घट जाये और उसके फलस्वरूप पहले से प्यावा या कम मुद्रा परिचलन में मा नाये। बाम में होने वाला परिवर्तन चाहे मालों के मूल्य में होने वाले किसी वास्तविक परिवर्तन के अनुरूप हो और चाहे वह महब बाबार-भाव के उतार-चढ़ाव का नतीजा हो, परिचलन के माध्यम की मात्रा पर उसका एक सा प्रभाव होता है। मान लीजिये कि भिन्न-भिन्न स्थानों में निम्नलिखित वस्तुएं एक साप बेच दी जाती है, या यूं कहिये कि उनका प्रशिक रूपान्तरण हो जाता है : एक क्वार्टर गेहूं, २० गा कपड़ा, एक बाइबल और ४ गैलन बांग। यदि प्रत्येक वस्तु का नाम २ पौण है और चुनाचे जिन नामों को मूर्त रूप दिया जाता है, उनका गोड ८ पौड है, तो जाहिर है कि मुद्रा के रूप में ८ पौग को परिचलन में पा जाना चाहिये। दूसरी तरफ मान लीजिये कि ये ही वस्तुएं स्पान्तरणों की इस श्रृंखला की कड़ियां हैं: १ पवार्टर गेहूं-२पौड-२० गम कपड़ा-२पोज -१बाइबल-२ पौन-४ गैलन बारी-२ पौड। इस शृंखला से हम पहले से परिचित है। इस सूरत में २ पौड एक के बाद दूसरे माल का परिचालन करते जायेंगे और एक के बाद दूसरे माल के नाम को मूर्त रूप देने और इसलिये उनके नामों के कुल बोड़- पौड-को मूर्त रूप देने के बाद वे शराब बनाने वाले की भव में पहुंचकर विनाम करने लगेंगे। ये दो पास इस तरह चार बार गतिमान होते हैं। मुद्रा के उन्हीं दो टुकड़ों का यह पारस्वार होने बाला स्थानांतरण मालों के बोहरे रूप-परिवर्तन के अनुरूप होता है। यह मालों की उल्टी विमानों में चलने वाली उस गति के अनुरूप होता है, वो परिचलन की दो अवस्थामों में से गुजरती है, और यह विभिन्न मालों के पान्तरणों के पापस में मुंबे हुए होने के अनुरूप होता है।' . . 1. "Ce sont les productions qui le (l'argent) mettent en mouvenient et le font circuler ... La célérité de son mouvement (sc. de l'argent) supplée à sa qu. antité. Lorsqu'il en est besoin, il ne fait que glisser d'une main dans l'autre
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