१६४ पूंजीवादी उत्पादन बरेलू परिचलन के क्षेत्र के भीतर केवल एक ही ऐसा माल हो सकता है, जो मूल्य की माप का काम करने के कारण मुद्रा बन जाता है। दुनिया की मंडियों में मूल्य की दोहरी माप का प्रभुत्व रहता है,-सोना और चांदी दोनों यह काम करते है। इसलिए हर ऐसा कानून बेमानी है, जो यह चाहता है कि किसी देश के बैंक केवल उसी बहुमूल्य धातु के संचित कोषों का निर्माण करें, जो खुद उस देश के अन्दर चालू हो। बैंक माफ़ इंगलैण्ड ने ऐसा करके अपने लिए बुर जो "सुखद कठिनाइयां" पैदा कर ली है, वे सुविदित है। सोने और चांदी के सापेक्ष मूल्य में होने वाले परिवर्तनों के इतिहास में जो खास-खास दौर पाये है, उनके बारे में जानने के लिए देखिये कार्ल मार्क्स की उपर्युक्त रचना, पृ० १३६ और उसके पागे के पृष्ठ । सर रोबर्ट पील ने १४ का बैंक-कानून बनाकर इस कठिनाई से बचने की कोशिश की थी। इस कानून के द्वारा बैंक आफ इंगलैण्ड को चांदी के कलधौतों के आधार और इस शर्त पर नोट जारी करने की इजाजत दे दी गयी थी कि सुरक्षित कोष में चांदी की माना सोने के सुरक्षित कोष के चौथाई भाग से कभी ज्यादा न. रहे । इस काम के लिए चांदी के मूल्य का अनुमान लन्दन की मंग में प्रचलित भाव के प्राधार पर लगाया जाता था। [चीचे जर्मन संस्करण में जोड़ा गया नोट :माजकल हम फिर अपने को एक ऐसे काल में पाते हैं, जब सोने और चांदी के सापेक्ष मूल्यों में गम्भीर परिवर्तन हो रहा है। करीब २५ साल हुए चांदी के साथ सोने का अनुपात १५ १/२:१ था, अब वह २२:१ है, और सोने के अनुपात में चांदी का मूल्य बराबर गिरता जा रहा है। बुनियादी तौर पर यह अनुपात-परिवर्तन इन दो धातुओं की उत्पादन-प्रणाली में एक क्रान्ति हो जाने का परिणाम है। पहले सोना हासिल करने का लगभग एक ही ढंग था। स्वर्णमय चट्टानों के ऋतु-क्षरण के फलस्वरूप जिस रेतीली मिट्टी में सोना मिल जाता है, पहले उसे धोकर सोना निकाला जाता था। परन्तु अब यह तरीका काफी नहीं है, और एक दूसरे तरीके ने उसका महत्त्व कम कर दिया है। यह स्फटिक के ऐसे स्तरों को, जिनमें सोना हो, बोदने का तरीका है। प्राचीन काल के लोगों को भी यह तरीका मालूम था, लेकिन उनके लिए वह एक गौण तरीका या (देखिये दिमोवोरस , ३,१२-१४) (Diodor's v. Sicilien, "Historische Bibliothek", trus 1, 4 97-98, Stuttgart, 1828, पृ. २५८-२६१)। इसके अलावा, न केवल उत्तरी अमरीका के रोकी पर्वतों के पश्चिमी भाग में चांदी के नये विशाल भण्डारों का पता चल गया है, बल्कि रेल की लाइनों के विछ जाने से ये भार पौर मेक्सिको की चांदी की बातें सचमुच सुलभ हो गयीं और रेलों के द्वारा प्राधुनिक मशीनें तथा इंधन भेजना सम्भव हो गया, जिसके परिणामस्वरूप चांवी बहुत बड़े पैमाने और कम लागत पर निकाली जाने लगी। लेकिन ये दोनों धातुएं जिन शकलों में स्फटिक की परतों में मिलती है, उनमें बड़ा भारी अन्तर होता है। सोना- प्रायः शुद्ध रूप में होता है, लेकिन स्फटिक की परतों में सूक्म मात्रामों में विवरा रहता है। इसलिए, परत में से जो कुछ मिलता है, उस सब का चूरा कर देना पड़ता है और सोना या तो उसे धोकर और या पारे के जरिये निकाला जाता है। अक्सर दस लाव ग्राम स्फटिक में से केवल १ से लेकर ३ प्राम तक ही सोना निकलता है, उससे अधिक नहीं। कभी- कभार ३० से लेकर ६० ग्राम तक भी निकल पाता है। चांदी शुद्ध रूम में बहुत कम पायी जाती है। किन्तु वह विशेष प्रकार के स्फटिक में मिलती है, जिसे अपेक्षाकृत सुगमता के साथ चट्टानों की परतों से अलग कर लिया जाता है और जिसमें प्रायः ४० से १० प्रतिशत तक
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