पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/१९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१९२ पूंजीवादी उत्पादन जिसकी बह बम-शक्ति है, उसे माल के रूप में विकी के लिए पेश करे या बेच गले। उसके ऐसा करने के लिए बरी है कि यह मन-पाक्ति स्वयं उसके अधीन हो और मम करने की अपनी सामयं का, यानी खुद अपने शरीर का, वह पूर्ण स्वामी हो। यह व्यक्ति और मुद्रा का मालिक मण्डी में मिलते और एक दूसरे के साथ समानता के माधार पर व्यवहार करते है। बस अन्तर केवल इतना होता है कि एक पाहक होता है और दूसरा विक्रेता। इसलिए, कानून की नजरों में दोनों बराबर होते हैं। इसलिए कि यह सम्बंध कायम रहे, यह बरी है कि मम-शक्ति का मालिक उसे केवल एक निश्चित काल के ही लिए बेचे, क्योंकि यदि वह उसे एक बार हमेशा के लिए बेच गलेगा, तो वह असल में अपने आप को बेच देगा और स्वतंत्र मनुष्य से गुलाम बन जायेगा और माल का मालिक न रहकर खुब माल बन जायेगा। अपनी श्रम-शक्ति को उसे सदा अपनी सम्पत्ति, स्वयं अपना माल समझना चाहिए और यह बह केवल उसी समय समझ सकता है, जब वह अपनी श्रम शक्ति को अस्थायी तौर पर और एक निश्चित काल के लिए ही ग्राहक को सॉप। केवल इसी तरह वह अपनी श्रम-शक्ति पर अपने स्वामित्व के अधिकार से वंचित होने से बच सकता है।' यदि मुद्रा के मालिक को मण्डी में श्रम शक्ति को माल के रूप में पाना है, तो उसकी . " प्राचीन काल के रीति-रिवाजों और संस्थानों के विश्वकोषों में हमें इस तरह की बकवास मिलती है कि प्राचीन काल में पूंजी का पूरा विकास हो चुका था और 'बस स्वतंत्र मजदूर और उधार की व्यवस्था का प्रभाव था"। इस दृष्टि से मौम्मसेन ने भी अपने 'रोम के इतिहास' में एक के बाद एक भद्दी भूल की है। ३ इसीलिए अनेक देशों में कानून बनाकर श्रम के इकरारनामों के लिए एक अधिकतम अवधि की सीमा निश्चित कर दी गयी है। जहां कहीं भी स्वतंत्र श्रम का नियम है, वहां इस तरह के करारों को ख़तम करने की पद्धत्ति का नियमन कानूनों के द्वारा होता है। कुछ राज्यों में, विशेषकर मेक्सिको में (अमरीकी गृह युद्ध के पहले उन प्रदेशों में भी, जो मेक्सिको से ले लिए गये थे, और सच पूछिये, तो कूजा की क्रान्ति के समय तक डेन्यूब नदी के प्रान्तों में भी), पियोनेज (peonage) के रूप में छिपी हुई गुलामी कायम है। पेशगी किये जाने वाले रूपयों का श्रम के रूप में भुगतान करना पड़ता है। यह ऋण पीढ़ी दर पीढ़ी चलता जाता है, और इस तरह न केवल मजदूर व्यक्तिगत रूप में, बल्कि उसका परिवार भी व्यवहार में (de facto) दूसरे व्यक्तियों और दूसरे परिवारों की सम्पत्ति बन जाता है। ज्वारेज ने पियोनेज की यह प्रथा समाप्त कर दी थी। तथाकथित सम्राट् मैक्सीमिलियन ने एक फरमान जारी करके उसे फिर से बहाल कर दिया। वाशिंग्टन में प्रतिनिधि सभा की बैठक में इस फरमान की ठीक ही सख्त शब्दों में निन्दा की गयी थी और कहा गया था कि यह मेक्सिको में फिर से गुलामी की प्रथा कायम करने का फरमान है। हेगेल ने लिखा है : "मैं अपनी विशिष्ट शारीरिक एवं मानसिक योग्यतामों और क्षमतामों का उपयोग करने का अधिकार एक निश्चित काल के लिए किसी और को सौंप सकता हूं, क्योंकि इस प्रतिबंध के फलस्वरूप ये योग्यताएं और क्षमताएं मेरे सम्पूर्ण व्यक्तित्व से अलग हो जाती है। लेकिन यदि मैं अपना सारा श्रम-काल और अपना पूरा काम दूसरे को सौंप दूं, तो मैं खुद सार-तत्त्व को, दूसरे शब्दों में, अपनी सामान्य सक्रियता और वास्तविकता को, अपने व्यक्तित्व को, दूसरे की सम्पत्ति बना दूंगा।" (Hegel, “Philosophie des Rechts", Berlin, 1840, पृ० १०४, ६६७)