श्रम-प्रक्रिया और अतिरिक्त मूल्य पैदा करने की प्रक्रिया २०६ . एक प्रकार की पैदावार को दूसरे प्रकार की पैदावार के उत्पादन के साधनों में परिणत करके सर्च करता है। लेकिन जिस प्रकार प्रारम्भ में मम-प्रक्रिया में भाग लेने वाले केवल मनुष्य और पन्नी, दो ही बे, जिनमें से पृथ्वी का अस्तित्व मनुष्य से स्वतंत्र होता है, उसी प्रकार हम मान भी इस प्रक्रिया में उत्पादन के बहुत से ऐसे साधनों का इस्तेमाल करते हैं, वो हमें सीधे प्रकृति से मिलते हैं और वो प्राकृतिक पदायों के साथ मानव-श्रम के किसी मिलाप का प्रतिनिधित्व नहीं करते। ऊपर हमने भम-प्रक्रिया को उसके साधारण प्रापमिक तत्वों में परिणत कर दिया है। इस प में धन प्रक्रिया उपयोग मूल्यों के उत्पादन के उद्देश्य से की गयी मानव की कार्यवाही है। वह प्राकृतिक पदार्थों को मानव-मावश्यकताओं के अनुकूल बनाकर उनको हस्तगत करने की प्रक्रिया है। यह मनुष्य और प्रकृति के बीच पवार्य का विनिमय सम्पन्न करने की प्रावश्यक शर्त है। यह मानव-अस्तित्व की शर्त है, जिसे प्रकृति ने सदा-सदा के लिए अनिवार्य बना दिया है, और इसलिए वह इस मस्तित्व के प्रत्येक सामाजिक रूप से स्वतंत्र होती है, या सम्भवतः यह कहना ज्यादा सही होगा कि वह ऐसे प्रत्येक रूप में सामान्यतः मौजूर होती है। इसलिए हम जिस मजदूर पर विचार कर रहे है, उसका ऊपर अन्य मजदूरों के सम्बंध में वर्णन करने की प्रावश्यकता नहीं थी। एक तरफ मनुष्य और उसका मन और दूसरी तरफ प्रकृति और उसकी सामग्रियां ही बस काफी पी। जिस प्रकार बलिया लाकर यह नहीं बताया जा सकता कि जई किसने बोयी थी, उसी प्रकार खुद इस सरल मम-प्रक्रिया से हमें यह नहीं पता चलता कि वह किन सामाजिक परिस्थितियों के अन्तर्गत हो रही है। वह खुब हमें यह नहीं बताती कि वह गुलामों के बेरहम मालिक के कोड़े के नीचे सम्पन्न हो रही है या पूंजीपति की चिन्तित दृष्टि के नीचे, कोई सिंसिन्नदुस अपना छोटा सा खेत जोतकर उसे सम्पन्न कर रहा है या कोई जंगली पादमी बन्य पशुओं को पत्थरों से मार-मारकर उसे पूरा कर रहा है।' माइये, अब हम अपने भावी पूंजीपति की पोर लौट चलें। हम उससे उस वक्त अलग हुए थे, जब उसने मुली मम्मी में श्रम-प्रक्रिया के तमाम मावश्यक उपकरण-वस्तुगत उपकरण, यानी उत्पादन के साधन, और बैयाक्तिक उपकरण, पानी अम-शक्ति, दोनों बस-खरीदे ही । एक विशेषज्ञ की पैनी दृष्टि से उसने अपने विशेष व्यवसाय के लिए,-वह चाहे कातने का व्यवसाय हो, चाहे बूते बनाने का पौर चाहे किसी और किस्म का,- सबसे अधिक उपयुक्त डंग के उत्पादन के साधन और भम-शक्ति पुन ली थी। उसके बाद वह भम-शक्ति नामक उस माल का, जिसको उसने कुछ समय पहले ही खरीदा है, उपभोग करना प्रारम्भ करता है। इसके लिए वह उस मम-शक्ति की साकार मूर्ति-मजदूर-से उसके मम के द्वारा . . अपनी तर्क-शक्ति का चमत्कारिक प्रयोग करते हुए कर्नल टोरेन्स ने जंगली भादमी के इस पत्थर में पूंजी की उत्पत्ति का रहस्य खोज निकाला है। उन्होंने लिखा है : "वह (जंगली पादमी) वन्य पशु का पीछा करते हुए उसपर जो पहला पत्थर फेंकता है, अपने सिर के ऊपर लटके हुए फल को नीचे गिराने के लिए जो लकड़ी हाय में उठाता है, उसमें हम एक वस्तु के उपार्जन में मदद करने के उद्देश्य से एक दूसरी वस्तु का हस्तगतकरण होते हुए देखते है और इस तरह पूंजी की उत्पत्ति के रहस्य का आविष्कार कर डालते है।" (R. Torrenss "An Essay on the Production of Wealth," &c. [पार० टोरेन्स, 'धन के उत्पादन के विषय में एक निबंध , इत्यादि "] पृ. ७०-७११) 1445
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