पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२३०

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स्थिर पूंजी और अस्थिर पूंजी २२७ , मान लीजिये कि किसी प्राविष्कार के फलस्वरूप कातने वाला छ घण्टे में उतनी ही कपास कात गलता है, जितनी वह पहले ३६ घण्टे में कातता पा। अब उसका भम उपयोगी उत्पादन के लिए पहले से छ: गुना प्रभावोत्पादक हो जाता है। छः घण्टे के भम की पैदावार अब छः गुनी बढ़ जाती है और छः पौण्ड से ३६ पौड हो जाती है। लेकिन अब ३६ पोण कपास केवल उतने श्रम का अवशोषण करती है, जितने का पहले छः पौड कपास करती थी। कपास का हर पौड प्रब पहले की तुलना में नये श्रम के केवल छठे भाग का अवशोषण करता है, और इसलिए इसके पहले हर पौण में श्रम द्वारा जितना मूल्य बोड़ा जाता था, अब उसका केवल छा भाग ही जुड़ता है। दूसरी पोर, पैदावार में-यानी ३६ पौड सूत में-कपास से स्थानांतरित होने वाला मूल्य पहले का छ: गुना होता है। अब छः घन्टे की कताई से कच्चे माल का जितना मूल्य सुरक्षित रहता है और पैदावार में स्थानांतरित होता है, वह पहले का छ: गुना होता है, हालांकि इसी कच्चे माल के प्रत्येक पौड में कातने वाले के मम द्वारा जो नया मूल्य पड़ता है, वह पहले का केवल छठा भाग होता है। इससे प्रकट होता है कि श्रम की ये दो विशेषताएं बुनियादी तौर पर बिल्कुल भिन्न होती हैं, जिनमें से एक के फलस्वरूप वह मूल्य को सुरक्षित रखता है और दूसरी के फलस्वरूप मूल्य पैदा करता है। एक तरफ, कपास के एक निश्चित वजन को कातकर सूत तैयार करने में जितना अधिक समय लगता है, सामग्री में उतना ही प्रषिक नया मूल्य जुड़ जाता है। दूसरी तरफ, किसी निश्चित समय में जितने अधिक बचन की कपास कात गली जाती है, उतना ही अधिक मूल्य पैदावार में स्थानांतरित होकर सुरक्षित हो जाता है। प्रब मान लीजिये कि कातने वाले के श्रम की उत्पादकता बढ़ने-घटने के बजाय स्थिर रहती है और इसलिये उसे एक पौण कपास को सूत में बदलने के लिये उतने ही समय की आवश्यकता होती है, जितने की पहले होती थी, लेकिन कपास का विनिमय-मूल्य बदल जाता है और या तो बढ़कर पहले का छ: गुना हो जाता है और या घटकर पहले के मूल्य का केबल छठा भाग रह जाता है। इन दोनों सूरतों में कातने वाला एक पास कपास में अब भी उतना ही श्रम गलता है, जितना वह पहले गलता था, और इसलिये वह उसमें उतना ही मूल्य जोड़ता है, जितना बह कपास के मूल्य में तबदीली पाने के पहले बोड़ता था । और वह सूत की एक निश्चित मात्रा अब भी उतने ही समय में तैयार करता है, जितने समय में वह पहले तैयार करता था। फिर भी वह कपास से सूत में जो मूल्य स्थानांतरित करता है, वह अब या तोकपास के मूल्य में तबदीली पाने के पहले का छठा भाग होता है, या उसका छ: गुना होता है। यही उस वक्त भी होता है, जब श्रम के प्राचारों के मूल्य में उतार या चढ़ाव पाता है, मगर प्रम-प्रक्रिया में उनकी उपयोगी कार्य-क्षमता ज्यों की त्यों कायम रहती है। फिर, यदि कताई की प्रमिया की प्राविधिक परिस्थितियों में कोई परिवर्तन नहीं होता और उत्पादन के साधनों के मूल्य में कोई तबदीली नहीं पाती, तो कातने वाला समान अम-काल में समान मात्रा में कच्चा माल और समान मात्रा में मशीनें खर्च करता जाता है, जिनके मूल्य में भी कोई परिवर्तन नहीं होता। वह पैदावार में जो मूल्य सुरक्षित रखता है, वह उस नये मूल्य के प्रत्यक्ष अनुपात में होता है, जो वह पैदावार में जोड़ देता है। दो सप्ताह में वह एक सप्ताह से दुगुने भम का और इसलिये दुगुने मूल्य का समावेश करता है और एक सप्ताह से दुगुना कच्चा माल खर्च कर गलता है तथा दुगुनी मशीनें घिसा देता है, यानी यह दो सप्ताह में एक सप्ताह से दुगुने मूल्य का कच्चा माल तवा मशीनें इस्तेमाल कर गलता है और इसलिये वह एक . . 150