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स्थिर पूंजी और पस्थिर पूंजी २३७ . इस्तेमाल करते हुए कच्चे माल की अपेक्षाकृत छोटी मात्रा का उपयोग कर सकते थे, वहां अब एक मावनी एक महंगी मशीन की सहायता से पहले से सौगुने अधिक कच्चे माल का उपयोग कर सकता है। ऐसा होने पर स्थिर पूंची में, जिसका प्रतिनिधित्व उत्पादन के साधनों का कुल मूल्य करता है, भारी वृद्धि हो जाती है और साथ ही प्रम-शक्ति में लगायी गयी अस्थिर पूंजी में भारी कमी हो जाती है। लेकिन इस प्रकार की कान्ति से स्थिर तथा अस्थिर पूंजी के केवल परिमाणात्मक सम्बंध में ही परिवर्तन पाता है, या उससे केवल उस अनुपात में ही परिवर्तन पाता है, जिसमें कुछ पूंजी अपने स्थिर तवा अस्थिर संघटकों में बंटी हुई है। स्थिर तथा अस्थिर पूंजी में जो बुनियादी अन्तर है, उस पर ऐसी क्रान्ति का तनिक भी प्रभाव नहीं पड़ता।