नवां अध्याय अतिरिक्त मूल्य की दर अनुभाग १-श्रम-शक्ति के शोषण की मात्रा . मूल रूप से लगायी गयी पूंजी 'पूं' उत्पादन की प्रक्रिया में जो प्रतिरिक्त मूल्य पैदा करती है, या, दूसरे शब्दों में, पूंजी 'पूं' के मूल्य का जो स्वतःविस्तार होता है, वह पहले-पहल एक प्रतिरेक के रूप में, या पैदावार के मूल्य पर पैदावार के संघटक तत्त्वों के मूल्य के अन्तर के रूप में हमारे सामने पाता है। पूंजी 'पू' को संघटकों का योग होती है। उसका एक संघटक मुद्रा की बह रकम होती है, जो उत्पादन के साधनों पर खर्च की जाती है और जिसे हम 'स्थि' का नाम दे सकते हैं। और दूसरा संघटक मुद्रा की बह रकम होती है, जो श्रम-शक्ति पर खर्च की जाती है और जिसे हम 'मस्थि' का नाम दे सकते हैं। यानी 'स्थि' पूंजी का वह भाग है, जो स्थिर पूंजी, और 'पस्थि' वह भाग है, जो अस्थिर पूंजी बन गया है। इसलिए शुरू में पूं-स्थि+अस्थि। मिसाल के लिए, यदि मूल पूंजी ५०० पौण है, तो उसके संघटक इस प्रकार के हो सकते हैं कि ५०० पौण=४१० पौग स्थिर पूंजी+९० पास स्थिर पूंजी। जब उत्पादन की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है, तब हमारे पास एक ऐसा माल होता है, जिसका मूल्य (स्थि+ अस्थि)+'म', जहाँ 'म' अतिरिक्त मूल्य है। भूतपूर्व प्रांकड़ों को लेते हुए इस माल का मूल्य हो सकता है (४१० पौण स्थि+९० पोज अस्थि)+ १० पौड'म'। मूल पूंजी अब 'पूं' से 'पूं' में- या ५०० पौण से ५६० पौण में-बदल गयी है। अन्तर है 'म', या ९० पौल के बराबर अतिरिक्त मूल्य। पैदावार के संघटक तत्वों का मूल्य चूंकि मूल पूंजी के मूल्य के बराबर होता है, इसलिए यह कहना एक पुनरक्ति मात्र है कि पैदावार का मूल्य अपने संघटक तत्वों के मूल्य से जितना अधिक होता है, वह मूल पूंजी के विस्तार के बराबर होता है, या यह उत्पादन की प्रकिया में उत्पन्न प्रतिरिक्त मूल्य के बराबर होता है। फिर भी हमें इस पुनरुक्ति पर घोड़े और निकट से विचार करना चाहिए। जिन दो चीखों की यहां तुलना की गयी है, ये हैं पैदावार का मूल्य और उत्पादन की प्रक्रिया में लगाये गये संघटक तत्वों का मूल्य। अब ऊपर हम यह देख चुके हैं कि स्थिर पूंजी का जो भाग श्रम के प्राचारों के रूप में होता है, वह अपने मूल्य का केवल एक अंश ही पैरावार में स्थानांतरित करता है और बाक़ी मूल्य उन पोबारों में ही निहित रहता है। यह बाकी भाग चूंकि मूल्य के निर्माण में कोई हिस्सा नहीं लेता, इसलिए फिलहाल हम उसे एक तरफ छोड़ सकते हैं। उसे हिसाब में शामिल करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मिसाल के लिए,
पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२४१
दिखावट