पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३१

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२८ भूमिका . काम करता है। हेगेल के यहां इनवाद सिर के बल खड़ा है। यदि पाप उसके रहस्यमय प्रावरण के भीतर ढके हुए विवेकपूर्ण सार-तत्व का पता लगाना चाहते हैं, तो आपको उसे पलटकर फिर पैरों के बल सीषा खड़ा करना होगा। अपने रहस्यमय रूप में इनवार का जर्मनी में इसलिये चलन हो गया था कि वह मानो तत्कालीन व्यवस्था को रूपान्तरित करके माकर्षक बना देता है। पर अपने विवेकपूर्ण रूप में वह पूंजीवादी संसार तथा उसके पण्डिताऊ प्रोफेसरों के लिए एक निन्दनीय और घृणित वस्तु है, क्योंकि उसमें वर्तमान व्यवस्था की उसकी समम तवा सकारात्मक स्वीकृति में साथ ही साथ इस व्यवस्था के निषेष और उसके अवश्यम्भावी विनाश की स्वीकृति भी शामिल है। क्योंकि इनवार ऐतिहासिक दृष्टि से विकसित प्रत्येक सामाजिक रूप को सतत परिवर्तनशील मानता है और इसलिये उसके प्रस्थायी स्वरूप का उसके क्षणिक अस्तित्व से कम खयाल नहीं रखता है और क्योंकि इनवाद किसी चीज को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता और वह अपने सार-तत्व में मालोचनात्मक एवं कान्तिकारी है। पूंजीवादी समाज की गति में बो अन्तरविरोष निहित हैं, वे व्यावहारिक पूंजीपति के दिमाग पर सबसे अधिक जोर से उस नियतकालिक चक्र के परिवर्तनों के रूप में प्रभाव गलते हैं, जिसमें से समस्त प्राधुनिक उद्योग को गुखरना पड़ता है और जिसका सर्वोच्च बिनु सर्वव्यापी संकट होता है। वह संकट एक बार फिर पाने को है, हालांकि अभी वह अपनी प्रारम्भिक अवस्था में ही है। और इस संकट की लपेट इतनी सर्वव्यापी होगी और उसका प्रभाव इतना तीव्र होगा कि वह इस नये पवित्र प्रशन-जर्मन साम्राज्य के बरसात में कुकुरमुत्तों की तरह पैदा होने वाले नये नवाबों के दिमागों में भी इन्नवाद को ठोक-ठोक कर घुसा देगा। कार्ल मार्क्स लन्दन, २४ जनवरी १९७३।