पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३२

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फ्रांसीसी संस्करण की भूमिका नागरिक मौरिस लशाने के नाम प्रिय नागरिक, "Das Kapital" के अनुवाद के क्रमिक प्रकाशन का प्रापका विचार प्रशंसनीय है। इस रूप में पुस्तक मजदूर-वर्ग के लिये अधिक सुलभ होगी, और मेरे लिये यह बात सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। यह तो पापके सुझाव का अच्छा पहलू हमा, पर अब तसवीर के दूसरे रुख पर भी गौर कीजिये। मैंने विश्लेषण की जिस पत्ति का प्रयोग किया है और जिसका इसके पहले कभी पार्षिक विषयों के लिये प्रयोग नहीं हुआ था, उसने शुरू के अध्यायों को पढ़ने में कुछ कठिन बना दिया है। फांसीसी पाठक सवा परिणाम पर पहुंचने के लिये व्या और यह जानने को उत्सुक रहते हैं कि जिन तात्कालिक प्रश्नों ने उनकी भावनाओं को जगा रखा है, उनका सामान्य सिद्धान्तों के साप क्या सम्बंध है। मुझे र है कि तेजी से मागे न बढ़ पाने के कारण उन्हें कुछ निराशा होगी। यह एक ऐसी कठिनाई है, जिसे दूर करना मेरी शक्ति के बाहर है। मैं तो केवल इतना ही कर सकता हूं कि जिन पाठकों को सत्य की खोज करने की धुन है, उनको पहले से चेतावनी देकर पाने वाली कठिनाई का सामना करने के लिये तैयार कर दूं। विज्ञान का कोई सीधा और सपाट राजमार्ग नहीं है, और उसकी प्रकाशमान चोटियों तक पहुंचने का केवल उन्हीं को अवसर प्राप्त हो सकता है, जो उसके गालू रास्तों को पका देने वाली पढ़ाई से नहीं ग्रते। प्रिय नागरिक, विश्वास करें प्रापका स्नेही कार्ल मार्क्स लन्दन, १८ मार्च १८७२।