३१० पूंजीवादी उत्पादन - (कर) बतूल किया जा सकेगा। जब गएमयू उरे ने १८३३ के १२ घन्टे के बिल की निन्दा की दी और कहा था कि यह हमें अंधकार-युग की मोर लौटाकर ले जाने वाला कदम है, तब उहोंने क्या सही बात नहीं कही पी? यह सच है कि पेटी ने जिस परिनियम का विक किया है, उसकी पाराएं Happrentices" (शागियों) पर भी लागू होती थीं। लेकिन १७ वी सदी के अन्त में भी बच्चा-मजदूरों की क्या हालत थी, यह नीचे लिली शिकायत से साफ हो जाता है: "जैसा हमारे यहां, इस राज्य में, चलन है कि शागिर्द को सात बरस के लिये बांध दिया जाता है, बैसा उन लोगों के यहां (जर्मनी में) चलन नहीं है। वहाँ तीन या चार साल ही माम तौर पर काफी समझे जाते हैं। और इसका कारण यह है कि वहां लोगों को पैदा होने के समय से ही अपने पेशे की कुछ न कुछ शिक्षा मिलती रहती है, जिससे वे लोग काम के स्यावा लायक हो जाते और उनमें शिक्षा पाने की क्षमता प्रा जाती है। इसलिये फ्यावा बल्दी परिपक्व हो जाते हैं और अपने धंधे में बसता प्राप्त कर लेते हैं। इसके विपरीत, यहां , इंगलैग में, हमारे नौजवानों को शागिर्द की तरह भर्ती होने के पहले किसी चीज की शिक्षा नहीं दी जाती और इसलिये वे बहुत ही धीमी गति से प्रगति करते हैं और उस्तादों के वर्षे तक पहुंचने में उनको कहीं अधिक समय लग जाता है।" फिर भी, १८वीं सदी के अधिकांश तक, यानी माधुनिक उद्योगों तथा मशीनों का युग शुरू होने तक, इंगलैग में पूंजी भम-शक्ति का साप्ताहिक मूल्य देकर मजदूर के पूरे सप्ताह पर कब्जा . .. 1W. Petty, “Political Anatomy of Ireland" (विलियम पेटी, 'मायरलैण्ड की राजनीतिक शरीर-रचना'), 1672; १६६१ का संस्करण, "Verbum Sapienti' शीर्षक एक परिशिष्ट, पृ० १०॥
- “A Discourse on the Necessity of Encouraging Mechanic Industry"
('यांत्रिक उद्योग को बढ़ावा देने की मावश्यकता के सम्बंध में एक निबंध'), London, 1690, पृ० १३। मकोले ने, जिन्होंने कि हिगों तथा पूंजीपति-वर्ग के हित में इंगलैण्ड के इतिहास को तोड़-मरोड़ डाला है, कहा है : “समय से पहले ही बच्चों को काम में लगा देने की प्रथा... १७ वीं सदी में इतनी अधिक प्रचलित थी कि कारखानों की प्रणाली के विस्तार से मुकाबला करने पर वह लगभग अविश्वसनीय मालूम होती है। नोर्विच में, जो ऊनी कपड़े के व्यवसाय का मुख्य केन्द्र था, छ: बरस के नन्हे बच्चे को भी मेहनत करने के योग्य समझा जाता था। उस जमाने के कुछ लेखकों ने, जिनमें से कुछ बड़े ही दयावान व्यक्ति समझे जाते थे, इस बात का "exultation" ("बड़े गर्व") के साथ विक किया था कि अकेले एक शहर में बहुत ही नन्ही उम्र के बच्चे-बच्चियां हर साल इतनी बोलत पैदा कर देते हैं, जो उनके अपने जीवन-निर्वाह के लिये भावश्यक रकम से १२,००० पाण्ड अधिक होती है। गुजरे हुए जमाने के इतिहास का हम जितना ध्यानपूर्वक अध्ययन करेंगे, उतना ही हम उन लोगों के मत के विरुद्ध होते जायेंगे, जिनका खयाल है कि हमारे जमाने में तरह-तरह की नयी सामाजिक बुराइयां पैदा हो गयी है ... नयी केवल वह वृद्धि और यह मानवता हैं, जो इन बुराइयों की दवा का काम करती हैं।" ("History of England" ["इंगलैण्ड का इतिहास'], खण्ड १, पृ. ४१७।) मकोले इसके प्रागे यह और भी जोड़ सकते थे कि १७ वीं सदी के "अत्यन्त सहृदय" amis du commerce (व्यापार के मित्रों) ने इस बात पर "exultation" ("बड़ा गर्व") प्रकट किया है कि हालैण्ड के एक मुहताज-बाने .