पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३१४

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काम का दिन ३११ - करने में कामयाब नहीं हुई थी। लेतिहर मजदूर इसके अपवादये। यदि मजदूरचार दिन की मजदूरी से पूरे सप्ताह अपना सर्व चला लेते थे, तो इस कारण से वे यह जरूरी नहीं समानते थे कि बाकी दो दिन पूंजीपति के लिये काम किया करें। अंग्रेज प्रशास्त्रियों के एक बल ने पूंजी के हित में मजदूरों की इस हवीं की बहुत ही तीन शब्दों में निन्दा की है। एक दूसरे बल ने मजदूरों का समर्थन किया है। मिसाल के लिये, "Essay. on Trade and Commerce" ('व्यापार और वाणिज्य पर एक निबंध') के (पूर्व-उद्धृत) लेखक और पोस्टलेषवेट की बहस की मोर ध्यान बीजिये, जिनके व्यापार के शब्दकोष की उन दिनों वैसी ही स्वाति पी, जैसी माजकल मैक्कुलक और मैकग्रेगर की उसी जाति की रचनाओं की है।' अन्य बातों के अलावा पोस्टलेषवेट ने कहा है: "हम इन टिप्पणियों को उस बहुत पिटी हुई बात का उल्लेख किये बिना समाप्त नहीं कर सकते, जो प्राजकल बहुत ज्यादा लोगों के . में एक चार वर्ष के बच्चे को नौकर रखा गया था, और "vertu mise en pratique" (" सद्गुणों के अभ्यास") का यह उदाहरण ऐडम स्मिथ के समय तक लिखी गयी मकोले के ढंग के सभी लेखकों की मानवतावादी रचनाओं में पर्याप्त समझा जाता था। यह सच है कि दस्तकारी की जगह पर हस्तनिर्माण का चलन शुरू होने पर बच्चों के शोषण के भी चिन्ह दिखाई देने लगे। इस तरह का शोषण कुछ हद तक किसानों में हमेशा पाया जाता था, और काश्तकार के कंधे पर रखा हुमा जुमा जितना भारी होता था, उतना ही इस प्रकार का शोषण बढ़ जाता था। इस दृष्टि से पूंजी की प्रवृति बिल्कुल साफ़ है, लेकिन इस प्रवृति के तथ्य अभी तक इतने कम है, जितने दो सिर वाले बच्चे। इसलिये "amis du commerce" ("व्यापार के मित्र")- भविष्यवक्ता- उनको खास जिक्र के लायक समझते हैं, "exultation "("बड़े गवं") के साथ उनकी चर्चा करते हैं, और उनको खुद अपने और पाने वाले जमाने के लिये मिसाल के रूप में पेश करते हैं। इस खुशामदी टट्ट और लच्छेदार बातें बनाने वाले स्कोटलैण्डवासी मकोले ने कहा है: 'माजकल हम हर तरफ केवल प्रतिगमन की बातें सुनते है और केवल प्रगति की बातें देखते हैं।" क्या प्रांखें और खास कर क्या कान पाये है आपने ! 1 मेहनत करने वालों पर तरह-तरह के प्रारोप लगाने वालों में सबसे अधिक गुस्सा "An Essay on Trade and Commerce, containing Observations on Taxes, &c." ['व्यापार और वाणिज्य पर एक निबंध , जिसमें कर-व्यवस्था प्रादि पर भी कुछ टिप्पणियां शामिल है '] (London, 1770) के उस गुमनाम लेखक को है , जिसका जिक्र हम पहले कर चुके हैं। इस विषय पर यह लेखक अपनी पहले वाली पुस्तक "Considerations on Taxes" ['करों के विषय में कुछ विचार'] (London, 1765) में भी लिख चुका है। इसी प्रकार का एक लेखक पोलोनियस अर्थर यंग है, जो सांख्यिकी के नाम पर ऐसी-ऐसी वकवास करता है , जिसका जिक्र करना भी मुश्किल है। मजदूर-वर्ग के समर्थकों में सर्वप्रमुख हैं : जैकब वैण्डरलिण्ट, जिन्होंने “Money Answers all Things" ['मुद्रा सब चीजों का जवाब है '] (London, 1734) लिखी है; रेवरेंड नथेनियल फोर्टर, डी० डी०, जिन्होंने “An Enquiry into the Causes of the Present High Price of Provisions" ['खाद्य-पदार्थों के मौजूदा ऊंचे दामों के कारणों की जांच'] (London, 1767) लिखी है; डा० प्राइस और खास तौर पर पोस्टलेयवेट, जिन्होंने अपनी रचना "Great Britain's Commercial Interest explained and improved" ['ग्रेट ब्रिटेन का व्यापारिक हित किस बात में है और उसे कैसे मागे .