तेरहवां अध्याय सहकारिता जैसा कि हम ऊपर देख चुके हैं, पूंजीवादी उत्पादन केवल उसी समय प्रारम्भ होता है, जब प्रत्येक अलग-अलग पूंजी मजदूरों की एक अपेक्षाकृत बड़ी संख्या से एक साथ काम लेने लगती है और उसके फलस्वरूप जब एक व्यापक पैमाने पर बम-प्रक्रिया चलती है और इस तरह अपेक्षाकृत बड़ी मात्राओं में पैदावार होती है। जब अपेक्षाकृत बड़ी संख्या में मजदूर एक समय में और एक जगह पर (पापको यही पसन्द हो, तो एक ही ढंग के श्रम के क्षेत्र में) इकट्ठा काम करते हैं और एक ही पूंजीपति के मातहत एक डंग का माल तैयार करते हैं, तब इतिहास एवं तर्क दोनों की दृष्टि से पूंजीवादी उत्पावन का भीगणेश हो जाता है। जहां तक खुद उत्पादन की प्रणाली का सम्बंध है, हस्तनिर्माण शब्द का यदि उसके मौलिक पर्व में उपयोग किया जाये, तो उसकी अत्यन्त प्रारम्भिक अवस्था में और शिल्पी संघों की बस्तकारियों में इसके सिवाय और बहुत कम अन्तर होता है कि हस्तनिर्माण में पूंजी की एक ही राशि मजदूरों की अपेक्षाकृत बड़ी संख्या से एक साथ काम लेती है। मध्य युग के उस्ताद बस्तकार की वर्कशाप केवल पहले से बड़ा पाकार धारण कर लेती है। इसलिये, शुरू में केवल परिमाणात्मक अन्तर होता है। हम ऊपर यह बता चुके हैं कि किसी निश्चित पूंजी द्वारा उत्पादित अतिरिक्त मूल्य का पता लगाने के लिये प्रत्येक मजदूर द्वारा पैदा किये गये अतिरिक्त मूल्य को एक साथ काम वाले मजदूरों की संख्या गुणा कर देना काफी होता है। अब मजदूरों की संस्था से न तो अतिरिक्त मूल्य की दर में कोई फर्क पड़ता है और न ही मम-शक्ति के शोषण की मात्रा में कोई अन्तर पाता है। यदि १२ बन्टे का काम का दिन छ: शिलिंग में निहित हो, तो ऐसे १२०० दिन १२०० गुने छ: शिलिंग में निहित होंगे। एक सूरत में १२४१२०० काम के घण्टे और दूसरी सूरत में ऐसे १२ घन्टे पैदावार में निहित होते हैं। मूल्य के उत्पादन में मजदूरों की प्रत्येक संख्या उतने मलग-अलग मजदूरों के बराबर ही मानी जाती है, और इसलिये चाहे १२०० पादमी अलग- अलग काम करें और चाहे वे एक पूंजीपति के नियंत्रण में मिलकर काम करें, उससे जो मूल्य पैदा होता है, उसमें कोई फर्क नहीं पड़ता।) फिर भी, कुछ सीमाओं के भीतर, एक परिवर्तन बरूर हो जाता है। मूल्य में मूर्त होने बाला मम प्रोसत सामाजिक स्तर का भम होता है। चुनाचे उसमें मौसत श्रम-शक्ति वर्ष होती है। लेकिन कोई भी प्रोसत मात्रा एक ही तरह की, परन्तु भिन्न-भिन्न परिमाण वाली भनेक अलग-अलग मात्रामों का पोसत होती है। हर उद्योग में हर अलग-अलग मखदूर, चाहे उसका नाम पीटर हो या पौल, मौसत मखदूर से भिन्न होता है। जब कभी मजदूरों की एक खास पल्पतम संस्था से एक साथ काम लिया जाता है, तब ये व्यक्तिगत भिन्नताएं-या, गणित की शब्दावली में, एक दूसरे की अति पूर्ति कर देती ह और गायब हो
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