श्रम का विभाजन और हस्तनिर्माण ३८९ जोर से होड़ चलती है, पर काम के विविध पियानों में बंटे रहने के कारण सामूहिक श्रम के प्राचारों का उपयोग करने की बहुत कम सम्भावना रह जाती है, और पूंजीपति काम को छितराकर वर्कशाप पर होने वाले खर्च को बचा लेता है, इत्यादि, इत्यादि। पर इन सब बातों के बावजूद तफसीली काम करने वाला जो मजदूर घर पर काम करते हुए भी किसी पूंजीपति (कारखानेदार या établisseur के लिये काम करता है, उसकी स्थिति उस स्वतंत्र कारीगर की स्थिति से बहुत भिन्न होती है, जो खुद अपने गाहकों के लिये काम करता है।' हस्तनिर्माण का दूसरा प्रकार, बो उसका विकसित रूप होता है, ऐसी वस्तुएं तैयार करता है, जो विकास की परस्पर सम्बड प्रवस्थानों में से गुजरती हैं और जिनको एक के बाद दूसरी अनेक क्रियानों के क्रम में से निकलना पड़ता है। मिसाल के लिये, सुइयों के हस्तनिर्माण में तार तफसीली काम करने वाले ७२ और कभी-कभी तो १२ विभिन्न मजदूरों के हापों तक से गुजरता है। इस तरह का हस्तनिर्माण एक बार शुरू हो जाने पर जिस हद तक बिखरी हुई वस्तकारियों को गोड़ देता है, उस हद तक वह उत्पादन को विभिन्न अवस्थानों को एक दूसरे से अलग करने वाली दूरी को कम कर देता है। एक अवस्था से दूसरी अवस्था में जाने में जो समय लगता था, वह कम हो जाता है, और इस अवस्था परिवर्तन में जो श्रम लगता था, वह भी कम हो . - 1१८५४ में जेनेवा में ८०,००० घड़ियां तैयार हुई थीं, जो न्यूफ़शतेल के कैण्टन में होने वाले उत्पादन का पांचवां हिस्सा भी नहीं होती। अकेले ला शे-द-झोंद में, जिसे घड़ियों की एक बहुत बड़ी हस्तनिर्माणशाला समझा जा सकता है , हर साल जेनेवा से दुगुनी घड़ियां बनती हैं। १८५० से १८६१ तक जेनेवा में ७,२०,००० घड़ियां तैयार हुई। देखिये “Reports by H. M.'s Secretaries of Embassy and Legation on the Manufactures, Commerce, &c.” ('हस्तनिर्माण, वाणिज्य आदि के विषय में बादशाह सलामत के राजदूतावासों तथा दूतावासों के मंत्रियों की रिपोर्ट') के १८६३ के अंक. ६ में "Report from Geneva on the Watch Trade" ('पड़ियों के व्यवसाय के बारे में जेनेवा की रिपोर्ट')। जब किन्हीं ऐसी वस्तुओं का उत्पादन, जो केवल इकट्ठा जोड़ दिये जाने वाले हिस्सों से मिलकर बनती हैं, अलग-अलग क्रियाओं में बांट दिया जाता है, तब इन क्रियाओं में कोई सम्बंध न होने के कारण ही इस प्रकार के हस्तनिर्माण को मशीनों से चलने वाले प्राधुनिक उद्योग की शाखा में रूपान्तरित कर देना बहुत कठिन हो जाता है। पर घड़ियों के साथ तो इसके अलावा दो कठिनाइयां और भी हैं। एक तो यह कि उनके पुर्ने बहुत छोटे और नाजुक होते हैं। दूसरी यह कि घड़ियां विलास की वस्तुएं समझी जाती हैं, इसलिये वे नाना प्रकार की होती हैं। यहां तक कि लन्दन की सब से अच्छी कम्पनियों में साल भर में मुश्किल से एक दर्जन घड़ियां एक प्रकार की बनती हैं। मैसर्स वैचेरोन एण्ड कोंस्टेंटिन की घड़ियों की फैक्टरी में, जहां मशीनों का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है, प्राकार तथा प्राकृति की दृष्टि से अधिक से अधिक तीन या चार प्रकार की घड़ियां बनायी जाती हैं। 'घड़ी बनाना विविध प्रकार के हस्तनिर्माण का प्रतिनिधि उदाहरण है। दस्तकारियों के उप- विभाजन के फलस्वरूप श्रम के पीजारों का जो उपर्युक्त भेदकरण तथा विशिष्टीकरण हो जाता है, उसके बहुत यथातथ्य अध्ययन के लिये घड़ी बनाने के व्यवसाय में बहुत सी सामग्री मिल जाती है।
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