पूंजीवादी उत्पादन . पाता है। बस्तकारी के मुकाबले में उसकी उत्पादक शक्ति बढ़ जाती है, और यह वृद्धि हस्तनिर्माण के सामान्य सहकारी स्वरूप के कारण होती है। दूसरी ओर, मन-विभाजन के लिये, यो हस्तनिर्माण का विशिष्ट सिद्धान्त है, यह पावश्यक होता है कि उत्पादन की विभिन्न अवस्वानों को एक दूसरे से अलग कर दिया जाये और एक दूसरे से स्वतंत्र बना दिया जाये। पृषक कार्यों के बीच सम्बन्ध बोड़ने और बनाये रखने के लिये वस्तु का एक हाथ से दूसरे हाय और एक प्रक्रिया से दूसरी प्रक्रिया तक निरन्तर लाना-ले जाना जरूरी हो जाता है। मशीनों से चलने वाले प्रानिक उद्योग की दृष्टि से यह पावश्यकता एक विशिष्ट एवं महंगी बुराई के रूप में सामने आती है और वह भी ऐसी पुराई के रूप में, वो हस्तनिर्माण के सिद्धान्त में निहित है। पदि हम अपना ध्यान कच्चे माल की किसी खास राशि पर ही केनित करें, जैसे कि यदि हम कापस के हस्तनिर्माण में रही कपड़ों की या सुइयों के हस्तनिर्माण में तार की किसी खास राशि की भोर ही ध्यान दें, तो हम देखेंगे कि उसे उत्पादन-क्रिया के पूरा होने के पहले तफ़सीली काम करने वाले अनेक मजदूरों के हाथों और कमशः अनेक प्रवत्थानों में से गुजरना पड़ता है। दूसरी ओर, यदि हम पूरी वर्कशाप पर विचार करें, तो हम पाते हैं कि कच्चा माल एक ही समय पर उत्पादन की सभी अवस्थाओं में से गुजर रहा है। सामूहिक मजदूर अपने बहुत से हापों में से कुछ में एक तरह के प्रोवार लेकर तार खींचता है, तो उसके साथ-साथ कुछ और हापों में भिन्न प्रकार के प्रोवार लेकर वह तार को सीवा करता है, कुछ और हापों से उसे काटता है। अन्य हाथों से उसकी नोक बनाता है, इत्यादि इत्यादि। अलग-अलग तफसीली क्रियाएं, जो पहले समय को दृष्टि से कमानुसार सम्पन्न होती थी, अब एक साथ चलती हैं और स्थान की दृष्टि से साथ-साथ सम्पन्न होने वाली क्रियाएं बन जाती है। इसलिये अब उतने ही समय में तैयार मालों को पहले से अधिक प्रमात्रा का उत्पादन होता है। यह सच है कि तफसीली क्रियानों का इस तरह एक साप चलना पूरी किया के सामान्य सहकारी स्वरूप का परिणाम होता है। परन्तु सहकारिता के लिये प्रावश्यक परिस्थितियां हस्तनिर्माण को केवल पहले से तैयार ही नहीं , जब लोग एक दूसरे के इतने नजदीक रहते हैं, तो लाना-ले जाना लाजिमी तौर पर कम हो जाता है।" ("The Advantages of the East India Trade" ["ईस्ट इण्डिया के व्यापार के लाभ'], पृ० १०६।) 'हाथ के श्रम का उपयोग करने के फलस्वरूप हस्तनिर्माण की विभिन्न अवस्थामों के पृषक हो जाने से उत्पादन की लागत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। नुकसान मुख्यतया केवल वस्तुओं को एक क्रिया से हटाकर दूसरी क्रिया तक ले जाने के कारण ही होता है। ("The Industry of Nations" [' राष्ट्रों का उद्योग'], Londom, 1855, भाग २, पृ० २००।) 'यह (श्रम का विभाजन) काम को उसकी विभिन्न शाखामों में बांटकर कुछ समय की भी बचत कर देता है, क्योंकि ये तमाम शाखाएं तब एक ही समय में कार्यान्वित की जा सकती ... उन तमाम विभिन्न क्रियाओं को, जिनको पहले एक व्यक्ति एक-एक करके पूरा करता था, प्रब एक साथ पूरा किया जाता है, जिसका नतीजा यह होता है कि पहले जितने समय में केवल एक पिन या तो काटा जाता था और या उसकी नोक बनायी जाती थी, अब उतने समय में बहुत सारे पिन पूरी तरह बनाकर तैयार किये जा सकते हैं।" (Dugold Stewart, उप० पु०, पृ. ३१६।) .
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