पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४११

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४०८ पूंजीवादी उत्पादन . मात्र बना दिया गया था। यदि शुरू-शुरू में मजदूर अपनी भम-शक्ति इसलिये पूंजी को बेचता है कि उसके पास माल पैदा करने के भौतिक साधन नहीं होते, तो अब लुब उसकी प्रम-शक्ति उस वक्त तक काम करने से इनकार कर देती है, जब तक कि उसे पूंजीपति के हाथ नहीं बेच दिया जाता। अब वह केवल उसी वातावरण में काम कर सकती है, जो उसकी विकी के बार पूंजीपति की वर्कशाप में पाया जाता है। हस्तनिर्माण करने वाला मजदूर स्वभावतः चूंकि स्वतंत्र ढंग से कोई चीन तैयार करने के लायक नहीं रह जाता, इसलिये वह केवल पूंजीपति की वर्कशाप के एक गौनांग के रूप में ही अपनी उत्पादक क्रियाशीलता का विकास कर सकता है। जिस तरह यहूदियों के माथे पर इसका चिन्ह अंकित हो गया था कि वे बेहोवाह की सम्पत्ति है, उसी तरह भम-विभाजन हस्तनिर्माण करने वाले मजदूर के माथे पर यह छाप अंकित कर देता है कि यह शख्स पूंजी की सम्पत्ति है। जंगली प्रावमी के लिये पुड की पूरी कला अपनी व्यक्तिगत चालाकी का प्रयोग करने में निहित होती है। इसी प्रकार स्वतंत्र किसान या दस्तकार भी चाहे जितनी कम मात्रा में सही, पर अपने भान, निर्णय-शक्ति और इच्छा शक्ति का कुछ न कुछ प्रयोग करता ही है। परन्तु अब, हस्तनिर्माण में, केवल पूरी वर्कशाप को ही इन सारी ममताओं की जरूरत होती है। उत्पादन में वृद्धि का एक दिशा में इसलिये विकास होता है कि अन्य बहुत सी विशामों में वह गायब हो जाती है। तफसीली काम करने वाले मजदूर जिन ममतामों को खो देते हैं, बे मजदूरों को नौकर रखने वाली पूंजी में केनीभूत हो जाती हैं।' हस्तनिर्माणों में होने वाले मम-विभाजन के परिणामस्वरूप ही मजदूर को उत्पादन की भौतिक क्रिया की बौद्धिक शक्तियों का किसी दूसरे की सम्पत्ति और मजदूर पर शासन करने वाली एक ताकत के बस में सामना करना पड़ता है। यह अलगाव सरल सहकारिता में प्रारम्भ होता है, जहां पर अकेले एक मजदूर के मुकाबले में पूंजीपति सम्बट मम की एकता और इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है। . 1 मूंगों में प्रत्येक मूंगा वास्तव में पूरे समूह के पेट का काम करता है ; परन्तु रोमन अभिजातवर्गीय व्यक्ति की तरह समूह का माहार खुद नहीं हड़प जाता, बल्कि समूह को माहार देता है। 9wL'ouvrier qui porte dans ses bras tout un métier, peut aller par- tout exercer son industrie et trouver des moyens de subsister: l'autre n'est qu'un accessoire qui, séparé de ses confrères, n'a plus ni capacité, ni indépendance, et qui se trouve forcé d'accepter la loi qu'on juge à propas de lui imposer." [" जिस मजदूर में एक पूरी दस्तकारी की योग्यता होती है, वह कहीं भी अपना धंधा कर सकता है और जीवन-निर्वाह के साधन प्राप्त कर सकता है। पर दूसरे प्रकार का मजदूर (हस्तनिर्माण करने वाला मजदूर) एक सहायक से अधिक और कुछ नहीं होता। अपने साथियों से अलग हो जाने पर उसमें न तो योग्यता रहती है और न स्वाधीनता, और इसलिये लोग उसपर जैसे भी नियम लादना चाहें, वह उन्हें मानने के लिये मजबूर होता है।"] (Sterch, उप०. पु०, सेण्ट पीटर्सबुर्ग संस्करण' १८१५, ग्रंथ १, पृ. २०४।) A. Ferguson, उप० पु०, पृ० २८१: "दूसरे ने जो बो दिया है, सम्भव है, पहले ने वह प्राप्त कर लिया हो।" . 3