श्रम का विभाजन और हस्तनिर्माण ४११ 1 . है, जो पौधोगिक व्याधि-विज्ञान के लिये सामग्री प्रस्तुत करता है और इस विज्ञान का श्रीगणेश करता है।' "किसी पानी का उप-विभाजन कर देना उसे प्राणवण देने के समान है, बशर्ते कि वह इस म के योग्य हो; अन्यथा यह उसकी हत्या कर देने के बराबर है उप-विभाजन एक क्रीम की हत्या कर देता है।" भम-विभाजन पर पाबारित सहकारिता, या दूसरे शब्दों में कहिये, तो हस्तनिर्माण एक स्वयंस्फूर्त संघटन के रूप में प्रारम्भ होता है। जैसे ही वह कुछ स्थिरता तथा विस्तार प्राप्त कर लेता है, वैसे ही वह पूंजीवादी उत्पादन का मान्य, नियमित एवं सुनियोजित रूप बन जाता है। इतिहास से इस बात का पता चलता है कि जिले सचमुच हस्तनिर्माण कहा जा सकता है, उसमें बो विशिष्ट प्रकार का भम-विभाजन पाया जाता है, वह पहले अनुभव से, यानी मानो पात्रों के पीठ पीछे, सबसे उपयुक्त स्म प्राप्त कर लेता है और फिर शिल्पी संघों की बस्तकारियों की तरह एक बार इस रूप का पता लगा लेने के बाद सवा उससे चिपके रहने की कोशिश करता है और जहां-तहां सदियों तक अपना यही रूप बनाये रखता है। छोटी-मोटी बातों में होने वाली तबदीलियों को छोड़कर इस रूप में कोई परिवर्तन केवल भम के प्राचारों में होने वाली किसी कान्ति के कारण ही होता है। माधुनिक हस्तनिर्माण नहीं कहीं भी शुरू होता है,-मैं यहाँ मशीनों पर प्राधारित माधुनिक उद्योग की पर्चा नहीं कर 'पैडमा में व्यावहारिक चिकित्सा के प्रोफेसर रैमेजीनी ने अपनी रचना "De morbis artificum" ('मजदूरों की बीमारियां') १७१३ में प्रकाशित की थी। उसका फ्रांसीसी अनुवाद १७८१ में हुमा, पौर १८४१ में वह “Encyclopedie des Sciences Medicales. 7me Dis. Auteurs Classiques" में पुनःमुद्रित की गयी। उन्होंने मजदूरों की बीमारियों की जो सूची बनायी थी, उसे मशीनों से चलने वाले प्राधुनिक उद्योग के युग ने, जाहिर है, बहुत बढ़ा दिया है। देखिये "Hygiene physique et morale de tourier dars les grandes villes en général et dans la ville de Lyon en particulier. Par le Dr. A. L. Fonteret, Paris, 1858" at "Die Krankheiten, welche verschiednen Ständen, Altern und Geschlechtern eigenthümlich sind." , Ulm, 1860, और इसी प्रकार की कुछ अन्य पुस्तकें। १८५४ में Society of Arts (धंधों की परिषद) ने प्रौद्योगिक बीमारियों की जांच करने के लिये एक जांच-पायोग नियुक्त किया था। इस मायोग ने जो कागज-पत्र जमा किये थे, उनकी सूची "Twickenham Economic Museum" ('ट्विकेनहेम के प्रार्षिक संग्रहालय') के सूचीपत्र में देखी जा सकती है। "Reports on Public Health' ('सार्वजनिक स्वास्थ्य की रिपोर्ट') नामक सरकारी प्रकाशन भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, एमई राइल (Eduard Reich) एम० डी०, की रचना "Ueber die Entartung des Menschen", Erlangen, 1868, भी देखिये। ' (D. Urquhart, "Familiar Words" [1. उ'हार्ट, 'सुपरिचित शब्द'], London, 1855, पृ. ११९।) श्रम-विभाजन के विषय में हेगेल के बहुत ही रूढ़ि-विरोधी विचार है। अपनी "Rechtsphilosophie (दूसरा संस्करण, Berlin, 1840, पृ. २४७) में उन्होंने कहा है : "सबसे पहले सुशिक्षित लोगों से हमारा अभिप्राय उन व्यक्तियों से होता है, जो हर वह काम कर सकते है, जो दूसरे लोग कर सकते है।" .. .
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