पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४१६

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श्रम का विभाजन और हस्तनिर्माण ४१३ इस तरह मालों को सस्ता करने तथा पूंजी के संचय में तेजी लाने का ही केवल साधन समझता है। मात्रा तथा विनिमय-मूल्य पर जोर देने की इस प्रवृत्ति के बिल्कुल विपरीत प्राचीन काल के लेखक केवल गुण तथा उपयोग-मूल्य पर खोर देते हैं। उनका कहना है कि उत्पादन की सामाजिक शाखामों के अलग-अलग हो जाने के फलस्वरूप माल पहले से बेहतर तैयार होते है, मनुष्यों की अलग-अलग प्रकार की प्रवृत्तियों तथा प्रतिभाओं को उनके उपयुक्त क्षेत्र मिल जाता है, और बहरहाल बिना किसी प्रतिबंध के कभी कहीं कोई महत्वपूर्ण काम नहीं किया जा सकता है। इसलिये भम-विभाजन से पैदावार और उत्पादक, दोनों का सुधार होता है। . . - माधुनिक लेखकों में १८ वीं सदी के चन्द लेखकों को इसका अपवाद माना जा सकता है, जैसे बेकारिया और जेम्स हैरिस, जो श्रम-विभाजन के सम्बंध में लगभग पूरी तरह प्राचीन काल के लेखकों का अनुकरण करते हैं। चुनांचे बेकारिया ने लिखा है : “Ciascuno prova coll'- esperienza, che applicando la mano e l'ingegno sempre allo stesso genere di opere e di produtte, egli più facili, più abbondanti e migliori ne traca risul- tati, di quello che se ciascuno isolatamente le cose tutte a se necessarie sol- tanto facesse ... Dividendosi in tal maniera per la comune e privata utilità gli uomini in varie classi e condizioni." [" यह दैनिक अनुभव की बात है कि जो प्रादमी अपने हाथों तथा अपनी बुद्धि का सदा एक ही प्रकार के काम में और एक ही तरह की पैदावार तैयार करने में उपयोग करता है, वह उस आदमी की अपेक्षा, जो अपनी जरूरत की बहुत सारी चीजों को खुद बनाता है, ज्यादा आसानी से और बेहतर काम कर सकेगा और ज्यादा पैदावार तैयार कर सकेगा.. और इस प्रकार मनुष्यों का विभिन्न वर्गों और श्रेणियों में विभाजन हो जाता है , जिससे सार्वजनिक और निजी हित आगे बढ़ते हैं।"] (Cesare Beccaria, "Elementi di Econ. Pubblica", Custodi qt siue, Parte Moderna, vio 99, 90 २८१) जेम्स हैरिस ने, जो बाद को माल्मसबरी के अलं हो गये थे और जो सेण्ट पीटर्सबुर्ग के अपने राजदूतावास की "Diaries" ('डायरियों') के लिये विख्यात है, अपनी रचना "Dialogue Concerning Happiness" ('सुख विषयक सम्वाद') (London, 1741; बाद को "Three Treatises, &c." ["तीन रचनाएं, आदि'] के लन्दन से १७७२ में प्रकाशित तीसरे संस्करण में पुनःमुद्रित) के एक फुटनोट में लिखा है : “समाज को (धंधों के विभाजन के द्वारा) प्राकृतिक सिद्ध करने के लिए दिया गया पूरा तर्क प्लेटो के 'प्रजातंत्र' के दूसरे भाग से लिया गया है। 'चुनांचे होमर ने 'मोडीसी' में लिखा है : RAaos rip ramdonnv avip taripreran Epromp» ("लोग प्रसमान होते है-ये एक चीज को पसन्द करते हैं, वे दूसरी को") (XIV, 228); और मार्किलोकस ने सेक्सटस एम्पीरिकस की रचना में यही बात कही है : odiamos ma kpro rapinv laiveray ("विभिन्न भादमियों को अलग-अलग कामों में मानन्दं पाता है")। «Dona' halorato &pya, Kansdbs B'nalotaro návra.» ("Out Tart À cir aşi है, वह कोई काम नहीं सीब पाता।")-मालों के उत्पादक के रूप में प्रत्येक एथेन्सनिवासी अपने को स्पार्टावालों से श्रेष्ठ समझता था, क्योंकि स्पार्टावालों के पास लड़ाई के समय मादमी तो काफ़ी होते थे, पर रुपया नहीं होता था। पेरिक्लीज ने एथेंसवासियों को " .