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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४२७

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४२४ पूंजीवादी उत्पादन . . होता है। और या मशीन के ढांचे में लगे हुए कार्यकारी प्राचार हमारे पुराने परिचित पोचार होते हैं। कताई करने वाले म्यूल में लगे हुए तहुए, मोने चुनने के करघे में लगी हुई सुइयां, पाराकसी की मशीन में लगे हुए पारे, काटने वाली मशीन में लगे हुए चाकू इसी तरह के प्राचार हैं। इन पौधारों और मशीन के मुख्य नगचे का भेव उनके जन्म से ही चला पाता है। पयोंकि ये पौधार पब भी प्रायः बस्तकारी अथवा हस्तनिर्माण के द्वारा ही तैयार होते रहते हैं और बाद को मशीन के ढांचे में, जो कि मशीनों द्वारा तैयार होता है, जोड़ दिये जाते हैं।' इसलिये, मशीन असल में एक ऐसा यंत्र होती है, जो गतिमान होने के बाद अपने प्राचारों से वही निपाएं करता है, जो पहले मजदूर इसी तरह के प्राचारों के द्वारा करते थे। चालक शक्ति चाहे मनुष्य से प्राप्त होती हो, चाहे किसी अन्य मशीन से, इससे इस सिलसिले में कोई अन्तर नहीं पाता। जिस बल कोई पोसार मनुष्य से लेकर किसी यंत्र में बोड़ दिया जाता है, बस उसी मण से महब प्रोबार का स्थान मशीन ले लेती है। यहां तक कि वहां पर खुद मनुष्य ही मूल चालक बना रहता है, वहां पर भी यह अन्तर तुरन्त ध्यान प्राकर्षित करता है। जिन पोचारों को प्रारमी खुद इस्तेमाल कर सकता है, उनकी संस्था उत्पादन के उसके अपने प्राकृतिक प्रोवारों की संख्या से, यानी उसकी शारीरिक इनियों की संख्या से, सीमित होती है। जर्मनी में लोगों ने पहले एक कातने वाले से दो बसों को बलवाने की कोशिश की, यानी वे चाहते थे कि मजदूर अपने दोनों हाथों और अपने दोनों पैरों से एक साथ काम करे। यह बहुत मुश्किल सावित हुमा। बाद को पैरों से चलाया जाने वाला पानार किया गया, जिसमें दो तकुए लगे थे, पर कताई करने में प्रवीन ऐसे मजदूर, गो एक साथ दो धागे निकाल सकते हों, लगभग उतने ही दुर्लभ थे, जितने दो सिर वाले इनसान । दूसरी मोर, बेनी अपने जन्म- काल से ही १२-१८ तकुओं से कताई करती थी और मोजे बुनने का करपा कई हबार सुइयों से एक साथ बुनाई करता है। मशीन एक साथ जितने पौवारों से काम ले सकती है, उनकी संस्था शुरू से ही उन सीमाओं से मुक्त हो जाती है, जो बस्तकारों के प्राचारों पर उसकी इनियों के रूप में लगी रहती हैं। हाप के बहुत से प्रोबारों में मात्र चालक शक्ति पी मनुष्य और मखदूर पी मनुष्य -या मौवारों से सचमुच काम लेने वाले कारीगर मी मनुष्य-का भेव एकदम स्पष्ट हो जाता है। उदाहरण के लिये, पैर केवल पर्ने की चालक शक्ति का काम करता है, जब कि हाय, तकुए से काम लेता हुमा और पागे को नीचता और ऐंठता हुमा, कताई की वास्तविक क्रिया को . . 1 खास तौर पर उसके मादिम रूप में तो पहली दृष्टि में ही प्राचीन काल का करपा नजर पा जाता है। अपने माधुनिक रूप में शक्ति से चलने वाले करणे कुछ मौलिक परिवर्तन हो गये हैं। 'प्रभी पिछले पन्द्रह बरस से ही (यानी लगभग १८५० से) मशीनों के इन मौजारों का अधिकांश इंगलैण्ड में मशीनों के द्वारा तैयार होने लगा है। और अब भी इन पोजारों को मशीन बनाने वाले कारखानेदार तैयार नहीं करते। इस तरह के यांत्रिक पाजारों को बनाने वाली मशीनों की कुछ मिसालें ये हैं : automatic bobbin making engine ( स्वचालित मशीनों की फिरकियां बनाने वाली मशीन), card-setting engine (धुनाई का मौजार बनाने वाली मशीन ), तुरी बनाने वाली मशीनें और म्यूल तथा घोसल के तकुमों को गढ़ने वाली मशीनें। ..