पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

चोये जर्मन संस्करण की भूमिका ४१ गयी थी, और कुछ यह कि तीन संस्करणों की छापे की गलतियां भी एक साथ जमा हो गयी वी; उबरण-चिन्ह या छोड़े हुए अंश को इंगित करने वाले चिन्ह गलत स्थानों पर लग गये के-सब नोटकों में उतारे हुए अवतरणों में से बहुत से उबरनों की नाल की जाती है, तब इस तरह की गलतियों से नहीं बचा जा सकता; बहां-तहां किसी शम का कुछ भद्दा अनुवाद हो गया था। कुछ अंश १८४३-४५ की पुरानी, पेरिस बाली नोट-पुकों से उद्धृत किये गये थे। उस समाने में मार्स अंग्रेसी नहीं जानते थे और अंग्रेस प्रशास्त्रियों की रचनामों का फांसीसी अनुवाद पढ़ा करते थे। इसका नतीजा यह हमा कि बोहरा अनुपाव होने के फलस्वरूप खरणों के पर्व में कुछ हल्का सा परिवर्तन हो गया। उदाहरण के लिये, स्टुअर्ट , उरे प्रावि के उद्धरणों के साथ यही हमा। अब उनका अंग्रेजी पाठ इस्तेमाल करना जरूरी था। इसी प्रकार की छोटी-छोटी पशुद्धियों या लापरवाही के और भी उदाहरण थे। लेकिन वो कोई भी बोचे संस्करण को पहले के संस्करण से मिलाकर देखेगा, वह पायेगा कि बड़ी मेहनत से की गयी इन तमाम तबीलियों से किताब में कोई छोटा सा भी उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं पाया है। केवल एक उबरण ऐसा था, जिसके मूल का पता नहीं लगाया जा सका। वह रिचर्ड बोन्स (पीचे संस्करण के पृ. ५६२ पर नोट ७) का उबरण चा। मार्स शायद पुस्तक का नाम लिखने में भूल कर गये हों। बाकी तमाम उबरनों की प्रभावशीलता ज्यों की त्यों है या उनका वर्तमान रूम पहले से अधिक सही होने के कारण उनकी प्रभावशीलता और बढ़ गयी है। लेकिन यहां मेरे लिये एक पुरानी कहानी बोहराना पावश्यक है। मुझे केवल एक बाहरण मालूम है, जब कि मास के लिये हुए किसी खरण की विमुखता पर किसी ने सन्देह प्रकट किया है। लेकिन यह सवाल चूंकि उनके जीवन-काल के बार भी उता रहा है, इसलिये मैं यहां उसकी अवहेलना नहीं कर सकता। ७ मार्च १८७२ को बर्मन कारखानेवारों के संघ के मुलपत्र , बर्लिन के “Concordia" में एक गुमनाम लेख छपा, जिसका शीर्षक वा 'कार्ल मार्क्स कैसे उबरण देते हैं। इस लेख में मैतिक कोष और प्रसंसदीय भाषा के बड़े भारी उबाल का प्रदर्शन करते हुए कहा गया था कि १६ अप्रैल १८६३ के ग्लेडस्टन के बजट-भावन से जो उखरण दिया गया है (यह खरण पहले अन्तर्राष्ट्रीय मनुर-संघ के उद्घाटन गन्तव्य में इस्तेमाल किया गया था और फिर 'पूंजी' के प्रथम बस के चौथे संस्करण के ५० ६१७ पर यानी तीसरे संस्करण के पृ. ६७१ पर [वर्तमान संस्करण के पृ० ७२९ पर] बोहराया गया था ), बह मूग है और 'Hansard" में प्रकाशित शाह द्वारा ली गयी (प्र-सरकारी) रिपोर्ट में निम्न वाक्य का एक शन भी नहीं मिलता: 'घन पौर शक्ति की यह मदोन्मत्त कर देने वाली वृद्धि... सम्पत्तिवान वर्गों तक ही पूर्णतया सीमित... है।" लेल के शन : "लेकिन यह वाक्य ग्लेस्टन के भाषण में कहीं भी नहीं मिलता। उसमें इसकी क उल्टी बात कही गयी है।" इसके मागे का वाक्य मोटे अक्षरों में पापाः "यह वाक्य अपने आप तथा सार दोनों दृष्टियों से एक ऐसा मूठ है, जिसे मास में गड़कर बोड़ दिया है।" . 46 .. 'माक्स ने पुस्तक का नाम लिखने में गलती नहीं की थी, बल्कि पृष्ठ लिखने में उनसे भूल हुई थी। ३७ के बजाय उन्होंने ३६ लिख दिया था। (देखिये वर्तमान संस्करण का पृ० ६७११)- सम्पा०