४२ भूमिका “Concordia"का यह अंक प्रगली मई में मार्स के पास भेजा गया, और उन्होंने इस गुमनाम लेखक को पहली खून के 'Volksstaat" में जवाब दिया। चूंकि उन्हें यह याद नहीं पा कि उन्होंने किस प्रजबार की रिपोर्ट से उबरण लिया था, इसलिये उन्होंने एक तो दो अंग्रेसी प्रकाशनों से समानार्थक उवरण देने और दूसरे "The Times" अखबार की रिपोर्ट का हवाला के देने तक ही अपने को सीमित रखा। 'The Times" की रिपोर्ट के अनुसार ग्लैग्स्टन ने यह कहा थाः "जहां तक इस देश के धन का सम्बंध है, यह स्थिति है। मैं तो अवश्य ही यह कहूंगा कि यदि मुझे यह विश्वास होता कि धन और शक्ति की यह मदोन्मत्त कर देने वाली वृद्धि केवल उन वर्गों तक ही सीमित है, जिनकी हालत अच्छी है, तो मैं इसे प्रायः भय और पीड़ा के साथ देखता। इसमें मेहनत करने वाली मावादी की हालत की भोर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। जिस वृद्धि का मैंने वर्णन किया है और जो, मेरे विचार से, सही हिसाब- किताब पर प्राधारित है, वह एक ऐसी वृद्धि है, जो सम्पत्तिवान वर्गों तक ही पूर्णतया सीमित . . 1 . . » इस प्रकार, यहां ग्लैडस्टन ने यह कहा है कि यदि स्थिति ऐसी होती, तो उनको अफ़सोस होता, लेकिन स्थिति ऐसी ही है: धन और शक्ति की यह मदोन्मत्त कर देने वाली वृद्धि सम्पत्तिवान वर्गों तक ही पूर्णतया सीमित है। और यहां तक पर्ष-सरकारी *Hansard" का सम्बंध था, मार्स ने पागे लिला: "अपने भाषण पर पोड़ी हाथ की सफाई विलाकर मि. ग्लैड्स्टन ने बाद में उसका जो संस्करण तैयार किया, उसमें से उन्होंने इस अंश को ग्रायव कर देने की चतुराई दिसायी, क्योंकि इंगलब के एक वित्त मंत्री के मुंह से यदि ऐसे शब्द निकलते, तो यह निश्चय ही बोलों की बात थी। और इसी सिलसिले में हम यह भी बता कि इंगलैड की संसद में इस तरह की चीन परम्परा से होती चली पायी है और यह कोई ऐसी तरकीब नहीं है, जिसे महब नन्हे लास्केर ने ही बेवेल को नीचा दिखाने के लिये ईजाव किया हो। गुमनाम लेखक का गुस्सा बढ़ता ही गया। चौथी जुलाई के “Concordia" में उसने अपना जवाब प्रकाशित किया। उसमें उसने तमाम अन्य स्रोतों से प्राप्त होने वाले प्रमाणों को हटाकर अलग कर दिया और बड़े गम्भीर ढंग से यह कहा कि संसद के भाषणों को शाटन की रिपोर्टों से उड़त करने का "रिवान" है। लेकिन साथ ही उसने यह भी जोड़ दिया कि
- The Times" की रिपोर्ट (जिसमें वह "मूग, गढ़ा हुमा" वाक्य शामिल है) और
- Hansard" की रिपोर्ट (जिसमें वह वाक्य छोड़ दिया गया है) बोनों "सार-तत्व की
दृष्टि से एक दूसरे से बिल्कुल मेल खाती है" और "The Times" की रिपोर्ट में, इसी प्रकार, 'उद्घाटन-वक्तव्य के उस बदनाम अंश की ठीक उलटी बात कही गयी है।" यह शख्स इस बात को बड़ी एहतियात के साथ छिपा जाता है कि "The Times" की रिपोर्ट में "उलटी बात" के साथ-साथ बह "बदनाम अंश" भी साफ तौर पर शामिल है। किन्तु, इस सब के बावजूद, गुमनाम व्यक्ति ने महसूस किया कि वह पूरी तरह फंस गया है और अब कोई नयी तरकीब ही उसे बचा सकती है। चुनाचे, जहां उसका लेख, जैसा कि हम ऊपर दिला पके है, "पृष्टतापूर्ण मूठी बातों" से भरा पड़ा है और जहां उसमें जगह-जगह पर ऐसी शिक्षाप्रव गालियां पढ़ने को मिलती है, जैसे "बुरा उद्देश्य ", "बेईमानी", "मूठी तोहमत", "वह माली उतरण", "पृष्टतापूर्ण मूग बातें", "सर्वथा भूग, गढ़ा हुमा उखरण", "यह मूठ, 4 . . . . .