चौथे जर्मन संस्करण की भूमिका . . "सरासर अनुचित" इत्यादि इत्यादि, वहां यह भी प्रावश्यक समानता है कि सवाल को एक दूसरी दिशा में मोड़ दे, और इसलिये वह यह वायदा करता है कि वह एक दूसरे लेख में यह बतायेगा कि "ग्लैड्स्टन के शब्दों के सारतत्व का हम (पानी "पृष्टताविहीन" गुमनाम लेखक) क्या मतलब लगाते हैं। जैसे कि उसके बास मत का, जिसका कि, बाहिर है, कोई निर्णायक महत्त्व नहीं हो सकता, इस मामले से भी कोई सम्बंध है। यह दूसरा लेख ११ जुलाई को “Concordia" में प्रकाशित हुआ। मार्स ने एक बार फिर सात अगस्त के “Volksstaat" में जवाब दिया। इस बार उन्होंने १७ अप्रैल १८६३ के *Morning Star" और "Morning Advertiser" नामक पत्रों की रिपोर्टों के खरण दिये, जिनमें यह मंश मौजूद था। इन दोनों रिपोर्टों के अनुसार ग्लैड्स्टन ने कहा था कि धन और शक्ति की इस वृद्धि को वह भय, प्रावि, के साथ देखते, यदि उनको यह विश्वास होता कि यह वृद्धि केवल उन वर्गों तक ही सीमित है, जिनकी हालत अच्छी है। लेकिन, उनके कथनानुसार, यह वृद्धि सचमुच सम्पत्तिवान वर्गों तक ही पूर्णतया सीमित है । इस प्रकार, इन रिपोर्टों में भी उस वाक्य का एक-एक शाम मौजूद था, जिसके बारे में प्रारोप लगाया गया था कि मार्स ने उसे "मूठमूठ गढ़कर बोड़ दिया है"। इसके बाद मार्स ने The Times" और "Hansard"के पागे का मिलान करके एक बार फिर यह साबित किया कि यह वाक्य, जिसके बारे में भाषण की अगली सुबह को एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से प्रकाशित होने वाले तीन प्रखबारों ने बिल्कुल एक सी रिपोर्ट छापकर यह प्रमाणित कर दिया था कि वह सचमुच कहा गया था,
- Hansard" की उस रिपोर्ट
से गायब है, जिसे परम्परागत "प्रथा" के अनुसार बदल दिया गया था, और इसलिये यह बात स्पष्ट है कि उसे ग्लंडस्टन ने, मास के शब्दों में, "हाय की सफाई विलाकर गायब कर दिया था"। अन्त में मार्स ने कहा कि गुमनाम लेलक से प्रब और बहस करने के लिये उनके पास समय नहीं है। उस लेखक की, लगता तबीयत साफ हो गयी थी। बहर-हाल “Concordia" का कोई और अंक मास के पास नहीं पहुंचा। इसके साथ मामला खतम और वान हो गया जैसा लगा। यह सच है कि बाद को भी एक-दो बार कैमिाज विश्वविद्यालय से सम्पर्क रखने वाले कुछ व्यक्तियों से कुछ इस तरह की रहस्यमयी अफवाहें हमारे पास पहुंचीं कि मार्स ने 'पूंजी' में कोई प्रकपनीय साहित्यिक अपराध किया है, लेकिन तमाम छानबीन के बाद भी इससे ज्यादा निश्चित कोई बात मालूम न हो सकी। तब, मास की मृत्यु पाठ महीने बाद, २६ नवम्बर १९५३ को 'The Times" में एक पत्र छपा, जिसके सिरनामे पर ट्रिनिटी कालेज, कैमिाज, लिखा था और जिसके नीचे सेउली टेलर के हस्ताक्षर थे। इस पत्र में इस बौने ने, बो बहुत ही साधारण ढंग के सहकारी मामलों में टांग अड़ाया करता है, किसी न किसी माकस्मिक बहाने का मामय लेकर पाखिर न सिर्फ फैमिाज की उन अस्पष्ट अफवाहों पर प्रकाश गला, बल्कि “Concordia" उस गुमनाम लेखक की जानकारी भी करवा दी। ट्रिनिटी कालेज के इस बौने ने लिखा: “जो बात बहुत ही अजीब मालूम होती है, वह यह है कि मि. ग्लैड्स्टन के भाषण को (घाटन-) वक्तव्य में उक्त करने के पीछे स्पष्ट ही जो दुर्भावना छिपी थी, उसका भन्डाफोड़ करने की... जिम्मेवारी प्रोफेसर बेन्तानो (जो कि उस बात स्ली विश्वविद्यालय में और पाजकल स्ट्रासवर्ग विश्वविद्यालय में है) के कंधों पर जाकर पड़ी। हेर कार्ल मार्स ने... उद्धरण को सही सिद्ध करने की कोशिश की। .