पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४८२

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मशीनें और माधुनिक उद्योग ४७६ . . होती है, इसलिये उनमें सिपाहियों की. वारक (निवास स्थान ) पैसा अनुशासन पैदा हो जाता है। यह अनुशासन फ्रेक्टरी में एक पूर्ण व्यवस्था का रूप प्राप्त कर लेता है, और उसमें दूसरों के काम की देखरेख करने का उपर्युक्त मम पूरी तरह विकसित हो जाता है। इससे मजदूर काम करने वालों और काम की देखरेख करने वालों में, प्रौद्योगिक सेना के साधारण सिपाहियों और हबलदारों में बंट जाते हैं। "(स्वचालित क्रैक्टरी में) मुल्य कठिनाई सबसे प्रषिक.. इस बात को लेकर होती थी कि मनुष्यों को नियमित ढंग से काम करने की पावतों को छोड़कर संक्लिष्ट स्वचालित यंत्र को अपरिवर्तनीय नियमितता के साथ अपने को एकाकार कर देने की शिक्षा कैसे दी जाये। फ्रेपटरी के भम की मावश्यकतामों के अनुरूप पटरी-अनुशासन की एक सफल नियमावली को तैयार करने और फिर उसे लागू करने के इस प्रति-पुष्कर कार्य को मार्कराइट ने पूरा किया, और यह उनकी महान उपलब्धि है। पान भी, बब कि पूरी व्यवस्था बहुत अच्छी तरह संगठित की जा चुकी है और उसका भन .अधिक से अधिक हल्का हो गया है, जो लोग तणावस्था को पार कर गये हैं, उनको फ़ैक्टरी के उपयोगी मजदूर बनाना लगभग असम्भव होता है।"फेक्टरी की इस नियमावली में पूंजी निजी कानून बनाने बाले व्यक्ति की तरह और अपनी इच्छा के अनुसार अपने मजदूरों पर कायम अपने निरंकुश शासन को कानून का रूप दे देती है। पर इस निरंकुशता के साथ उत्तरदायित्व का वह विभाजन पुरा हुमा नहीं होता, जो अन्य मामलों में पूंजीपति वर्ग को इतना अधिक पसन्द है, और न ही उसके साथ प्रतिनिधान की बह प्रणाली. जुड़ी हुई होती है, वो पूंजीपति-वर्ग को और भी प्यावा पसन्न है। यह नियमावली बम-प्रक्रिया के उस सामाजिक नियमन का पूंजीवादी व्यंग- चित्र मात्र होती हैं, गो एक विशाल अनुमाप की सहकारिता में और भम के प्राचारों के विशेष कर मशीनों के-सामूहिक उपयोग में पावश्यक होता है। गुलामों को मार-मारकर काम लेनेवाले सरकार के कोड़े का स्थान फोरमैन का जुर्मानों का रजिस्टर ले लेता है। सभी प्रकार के बज स्वाभाविक ढंग से जुर्मानों का और मजबूरी में कटौतियों का रूप धारण कर लेते हैं, और फ्रक्टरी के लाइकरगस की विधिकारी प्रतिमा ऐसी व्यवस्था करती है कि जहां तक सम्भव है, उनके बनाये हुए कानूनों का पालन होने की अपेक्षा उनके उल्लंघन से उन्हें अधिक लाभ होता है।' . . +Ure, उप०, पु०, पृ० १५। जो कोई भी मार्कराइट की जीवनी से परिचित है, वह इस प्रतिभाशाली नाई को कभी ". उदारमना" नहीं कहेगा। १८ वीं सदी में जितने महान प्राविष्कारक हुए है, उनमें दूसरे लोगों के माविष्कारों का सबसे बड़ा चोर और सबसे अधिक नीच व्यक्ति निर्विवाद रूप से यह मार्कराइट ही था। "पूंजीपति-वर्ग ने सर्वहाराः को जिस गुलामी में जकड़ दिया है, उसपर जितना अधिक प्रकाश फैक्टरी-व्यवस्था में पड़ता है, उतना और कहीं नहीं पड़ता। इस व्यवस्था में हर प्रकार की स्वाधीनता-कानूनी तौर पर और वास्तव में, दोनों तरह-खतम हो जाती है। मजदूर को सुबह साढ़े पांच बजे फैक्टरी में हाजिर होना पड़ता है। यदि उसे दो-चार मिनट की भी देर हो जाती है, तो सजा मिलती है। यदि वह १० मिनट देर से पहुंचता है, तो उसे नाश्ते की छुट्टी के समय तक फैक्टरी में नहीं घुसने दिया जाता है, और इस तरह उसकी चौपाई दिन की मजदूरी मारी जाती है। उसे मालिक के हुक्म. पर बाना, पीना और सोना पड़ता है फैक्टरी की निरंकुश चंटी .उसे बिस्तर से उठा. देती है, नास्ते पार पाने को बीच ...