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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४८६

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मशीनें और माधुनिक उद्योग ४८३ के हाथ में कार्यरत मजदूर के जीवन के लिये प्रावश्यक प्रत्येक वस्तु की सुनियोजित सूट में बदल जाती है। मजदूर के काम करने की जगह अधिकाधिक छोटी होती जाती है, रोशनी और हवा कम होती जाती है और उत्सावक पिया के खतरनाक एवं हानिकारक उपकरणों से उसके बचाव की व्यवस्था में अधिकाधिक काट-छांट होती रहती है। मखदूर के पाराम के उपकरणों में को काट-छांट होती है, वह अलग है। जब रिये फ्रेक्टरियों को "परिष्कृत मेलखाने" कहते हैं, तो क्या गलती करते हैं? १०३ घण्टे काम होता है, तो शनिवार को बानी पांच दिन . उससे १२ प्रतिशत अधिक और शनिवार को पहले पांच दिन के पोसत से २५ प्रतिशत अधिक दुर्घटनाएं होती है ; या यदि शनिवार के काम के घण्टों का खयाल रखा जाये, क्योंकि शनिवार १ को ७ घण्टे और बाकी दिन १० २ के मौसत से ६५ प्रतिशत अधिक दुर्घटनाएं होती है।" ("Rep. of Insp. of Fact., 31st Oct., 1866" [फ़ैक्टरियों के इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट, ३१ अक्तूबर १८६६'], पृ० ६, १५,१६, १७१) फैक्टरी-कानून की उन धारामों के खिलाफ़, जिनके द्वारा खतरनाक मशीनों से मजदूरों के बचाव की व्यवस्था की गयी है, इंगलैण्ड के कारखानेदारों ने हाल में जो पान्दोलन चलाया था, उसका में तीसरी पुस्तक के भाग १ में वर्णन करूंगा। फ़िलहाल लेमोनार्ड होर्नर की सरकारी रिपोर्ट का यह एक उद्धरण दे देना काफ़ी होगा : "कुछ मिल-मालिकों को मैंने कुछ दुर्घटनामों का प्रक्षम्य लापरवाही के साथ जिक्र करते हुए सुना है। मिसाल के लिये, जब किसी मजदूर की उंगली कट जाती है, ये लोग इस तरह उसका जिक्र करते है, जैसे कोई बहुत ही महत्त्वहीन बात हो। मजदूर की जीविका और उसका भविष्य उसकी उंगलियों पर इतना अधिक निर्भर करते है कि उसकी एक भी उंगली का कट जाना उसके लिये बहुत भयानक बात होती है। जब कभी मैंने मिल-मालिकों को ऐसी विवेकहीन बातें करते सुना है, तब मैंने प्रायः उनसे यह प्रश्न किया है कि, मान लीजिये, मापको एक नये मजदूर की पावश्यकता है और इस एक जगह के लिये दो मजदूर मापके पास माते हैं, और दोनों की योग्यता अन्य सब बातों में तो एक सी है, पर एक मजदूर का एक अंगूठा या एक उंगली कटी हुई है; ऐसी हालत में माप उनमें से किस मजदूर को नौकर रखेंगे? इस प्रश्न का उत्तर देने में मालिकों को कभी कोई हिचकिचाहट नहीं हुई..." कारखानेदारों ने सुन रखा है कि "यह कानून झूठमूठ की परोपकारी भावना से प्रेरित होकर बनाया गया है, और उसके खिलाफ़ उनके मन में बहुत से गलत ढंग के पूर्वग्रह है।" ("Rep. of Insp. of Fact., 31st Oct., 1855" ['फैक्टरियों के इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट, ३१ अक्तूबर १८५५']1) ये कारखानेदार बड़े होशियार लोग है , और गुलामों के मालिकों के विद्रोह के सम्बंध में उन्होंने जो उत्साह दिखाया था, वह अकारण नहीं था। "जिन फैक्टरियों पर सबसे अधिक समय से फैक्टरी-कानून लागू है, उनमें श्रम के घण्टों के अनिवार्य रूप से सीमित कर दिये जाने तथा अन्य नियमों के फलस्वरूप बहुत सी पुरानी बुराइयां अब दूर हो गयी है। मशीनों में जो सुधार हो गये है, उनके कारण भी कुछ हद तक यह जरूरी हो जाता है कि "मकानों का निर्माण पहले से बेहतर ढंग से किया जाये ," और इससे मजदूरों का लाभ होता है। (देखिये "Rep. of Insp. of Fact. for 31st Oct., 1863 ["फैक्टरियों के इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट, ३१ अक्तूबर १९६३'], पृ. १०६।) - 31