५४० पूंजीवादी उत्पादन . बार या कुछ इसी प्रकार की अवधि के बाद शहर के पोक व्यापार करने वाले उन गोदामों में पहुंचते हैं, जिन्हें हम माल देते हैं, और पहले की तरह स्टाक से खरीदने के बजाय क्रौरी मार बेते हैं, जिनको फौरन पूरा करना होता है। बरसों पहले हम व्यापार में शिथिलता के समय हमेशा काम करते रह सकते थे, ताकि अगले मौसम की मांग को पूरा करने के लिये माल तैयार कर लें, पर अब कोई पहले से नहीं कह सकता कि अगला मौसम पाने पर मांग क्या होगी।" जिन पटरियों और हस्तनिर्माणशालाबों पर पनी तक फ्रक्टरी-कानून लागू नहीं हुए हैं, उनमें यकायक मिलने वाले मारों के परिणामस्वरूप समय-समय पर, यानी तथाकषित "मौसम के माने पर, मजदूरों से भयानक हर तक अधिक काम लिया जाता है। पटरी के, हस्तनिर्माण- शाला के और गोवाम के बाहरी विभाग में काम करने वाले तथाकषित घरेलू मजदूर, जिनका रोजगार बहुत अच्छी परिस्थितियों में भी बड़ा अनियमित होता है, अपने कच्चे माल और अपने पारों के लिये पूरी तरह से पूंजीपति की सनक पर निर्भर करते हैं। और इस उद्योग में पूंजीपति को अपने मकानों पर मशीनों के मूल्य-हास की कोई चिन्ता नहीं होती, उसका हाथ बिल्कुल गुला रहता है, और काम को बीच में रोक देने से पुर मधुर की साल के लिये पैसा होने वाले खतरे के सिवा उसे कोई बोलिम नहीं उठानी पड़ती। अतः यहाँ पर बह एक ऐसी रिव पाँचोगिक सेना का निर्माण करने के लिये सुनियोजित ढंग से कोशिश करने लगता है, को एक साल की सूचना पर काम में पुट पाने के लिये तैयार रहे। पर्व के एक भाग में वह इस सेना से प्रत्यन्त अमानवीय मन कराके उसे नष्टप्राय कर देता है, और दूसरे भाग में यह उसे काम न कर भूलों मारता है। "अब कमी यकायक अतिरिक्त काम कराने की पावश्यकता होती है, तब मानिक लोग घरेलू काम की प्रन्यासगत अनियमितता से लाभ उठाते हैं, और काम रात के ११ बजे, १२ बजे या २ बजे तक, या, जैसा कि ग्राम तौर पर कहा जाता है, "चौबीसों घडे" चलता रहता है, और वह भी उन मुहल्लों में वहां "बबवू इतनी ज्यादा होती है कि तमाचे की तरह मापके मुंह पर पाकर लगती है" (the stench is enough to knock you dowm)। 'पाप परवाने तक जाते हैं, भाया परवावा जोलते भी हैं, पर पागे नहीं बढ़ पाते, आपकी हिम्मत जवाबदेती है।" एक गवाह ने, बो जूते बनाता पा, अपने मालिकों का विक करते हुए कहा था: "प्रवीव रंग के लोग हैं। ये समझते हैं कि अगर कोई लड़का साल में महीने लगभग बाली हाय बैग रहता है, तो बाकी छ: महीने यदि उससे अत्यधिक काम भी लिया जाये, तो उसे काई नुकसान नहीं पहुंचेगा।' कुछ ऐसी "प्रवाएं हैं, जिनका प्रचार व्यवसाय के विकास के साथ बढ़ता गया है" . . 1 "Child. Empl. Comm. IV Rep." ('Terharutera uruto shout faute'), पृ. XXXII (बत्तीस)। "रेल-व्यवस्था के प्रसार को यकायक पार्डर देने की. इस प्रथा के विस्तार के लिये बहुत हद तक जिम्मेदार बताया जाता है, जिसके फलस्वरूप काम में बहुत जल्दी की जाती है, भोजन की छुट्टी का कोई बयान नहीं रखा जाता और मजदूरों को देर तक काम करना पड़ता है।" (उप० पु०, पृ. XXX [इकतीस]1) 2 "Ch. Empl. Comm. IV Rep." ('Treartea rett t test forte'), पृ. XXXV (पैतीस), अंक २३५, २३७ । 8 "Ch. Empl. Comm. IV Rep." ('Ta-farea arute i tot foute'), पृ० १२७, . अंक ५६।
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