पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/५६०

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मशीनें और माधुनिक उद्योग . . - 90 १५ अगस्त १८६७ को Factory Acts Extension Act (क्टरी-कानूनों के प्रसार के कानून) को और २१ अगस्त को Workshops' Regulation Act (बर्कशाप-नियमन कानून) को शाही स्वीकृति मिल गयी। पहला कानून बड़े और दूसरा छोटे उद्योगों से सम्बंध रखता है। पहला कानून पिघला-भट्ठियों, लोहे और ताम्बे की मिलों, ढलाई का काम करने वाले कारखानों और यंत्रशालामों, धातु का काम करने वाली हस्तनिर्माणशालाओं, गटापारचा के कारखानों, काग्रत की मिलों, कांच के कारखानों, तम्बाकू का सामान तैयार करने वाली हस्तनिर्माणशालाओं, टाइप की छपाई (जिसमें प्रसवार भी शामिल थे), जिल्बसाची,-और संक्षेप में कहिये, तो इस प्रकार की उन सभी प्रौद्योगिक संस्थानों पर लागू होता है, जिनमें ५० या ५० से अधिक व्यक्तियों से साल भर में कम से कम १०० दिन एक साथ काम लिया जाता है। Workshops' Regulation Act (वर्कशाप-नियमन-कानून) के काम-क्षेत्र का कुछ प्राभास देने के लिये हम उसकी व्याख्या सम्बंधी धारा से निम्नलिखित अंश उत्पत करेंगे: "बस्तकारी हाप के किसी भी श्रम को कहा जायेगा, बशर्ते कि यह व्यवसाय की तरह या लाभ के हेतु, या कोई वस्तु या किसी वस्तु का कोई भाग बनाने के सिलसिले में, या किसी वस्तु को विक्री के वास्ते तैयार करने के उद्देश्य से उसमें तबदीली करने, मरम्मत करने, सजावट करने, फिनिश बेने या किसी और प्रकार उसका अनुकूलन करने के दौरान में या उसके सम्बंध में किया गया हो।' "वर्कशाप किसी भी कमरे को या स्थान को कहा जायेगा, वह खुला हो या डंका हो, बशर्ते कि उसमें कोई बच्चा, लड़का या लड़की अपवा स्त्री किसी दस्तकारी का काम करती हो और बशर्ते कि जिस व्यक्ति ने ऐसे किसी बच्चे, लड़के या लड़की अपवा स्त्री को नौकर रख रखा है, उसको इस कमरे या स्थान में प्रवेश करने तथा उसपर अपना नियंत्रण रखने का अधिकार प्राप्त हो।" "नौकर होने का मतलब होगा किसी भी तरह का वस्तकारी का काम करना, वह चाहे मजदूरी लेकर किया जाये या बिना मजदूरी के और चाहे किसी मालिक के मातहत किया जाये या, निम्नलिलित परिभाषा के अनुसार, किसी जनक के 'जनक का पर्व होगा मां-बाप, संरक्षक या वह व्यक्ति, जिसकी अधीनता या नियंत्रण में कोई बच्चा, लड़का या लड़की है।" ७ वी धारा में इस कानून की धारामों को तोड़कर बच्चों, लड़के-लड़कियों प्रयया स्त्रियों को नौकर रखने वालों पर जुर्माना करने की व्यवस्था की गयी है। इस पारा के अनुसार, ऐसी स्थिति में न केवल वर्कशाप के मालिक पर, वह चाहे जनक की श्रेणी में माता हो या नहीं, घुर्माना होगा, बल्कि "बच्चे, लड़के लड़की अपवा स्त्री के जनक और उसके श्रम से प्रत्यक्ष लाभ उठाने वाले या उसपर नियंत्रण रखने वाले किसी भी व्यक्ति पर" भी जुर्माना किया जा सकेगा। Factory Acts Extension Act (पटरी-कानूनों के प्रसार का कानून), जिसका बड़े-बड़े कारखानों पर प्रभाव पड़ता है, उतना अच्छा नहीं है, जितना अच्छा फेक्टरी-कानून पा, स्योंकि उसमें बहुत सी बातों में टिपूर्ण छूट दी गयी है और कायरतापूर्ण अंग से मालिकों से सममाता कर लिया गया है। . " मातहत। « .