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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/५६७

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५६४ पूंजीवादी उत्पादन . - नाम-उद्योग में काम कर चुके हैं ?" "बी हो, माशिक म में... उनका (मजदूरों का) खयाल है कि फ्रेसला पाम तौर पर गवाहों के बयानों के मुताविक नहीं होता।" (#० ३६१, ३६४, ३६६, ३६८, ३७१, ३७५१) “पूरी बुलाने का एक बड़ा उद्देश्य यह है न कि वह निष्पक हो? " "जी, मैं तो ऐसा ही समझता हूं।" "यदि चूरी के सदस्यों में से अधिकतर मजबूर हों, तो क्या प्रापके खयाल में ऐसी बूरी निष्पन होगी?" "मुझे ऐसी कोई बात नहीं दिखाई देती, जिसके कारण मजदूरों को पक्षपात करना पड़ेगा... खान के काम-कान की उनको लाजिमी तौर पर बेहतर जानकारी होती है।" प्रापका क्या खयाल है कि क्या उनमें मजदूरों के पक्ष में बहुत ज्यादा सन्त फैसले देने की कोई प्रवृत्ति नहीं होगी?" "नहीं, मेरा ऐसा विचार नहीं है।" (नं. ३७८, ३७६, ३८०।) ५) बाट और मूठे गड - मजदूरों की मांग है कि उनको मजदूरी चौवह दिन में एक बार के बजाय हप्ते में एक बार दी जाये और उसका हिसाब टबों के घन मान के प्राचार पर नहीं, बल्कि टवों में भरे हुए कोयले के वचन के प्राधार पर लगाया जाये। उनकी यह भी मांग है कि मूठे बाटों वगैरह से उनकी रक्षा की जाये। (नं० १०७१) "अगर टबों का प्राकार बेईमानी से बढ़ा दिया जाता है, तो मजदूर चौवह दिन का नोटिस देकर काम छोड़ सकता " "लेकिन यदि वह किसी और जगह काम करने जाता है, तो वहां भी यही हालत है।" (नं० १०७१) "लेकिन मजदूर वह जगह छोड़ सकता है, जहां उसके साथ बेईमानी की गयी है?" "मगर यह तो एक माम बेईमानी है। वह जहां जाता है, वहीं उसे यह अन्याय सहन करना पड़ता है।" (नं० १०७२) "कोई भी मजदूर १४ दिन का नोटिस देकर काम छोड़ सकता है या नहीं ?" "हो, वह छोड़ सकता है।" (नं० १०७३।) और ये लोग फिर भी संतुष्ट नहीं हैं। ६) बानों का निरीक्षण-सानों में विस्फोट होते हैं, तो मजबूर हताहत हो जाते हैं। मगर उनके लिये यही एक मुसीबत नहीं है। (नं० २३४ और उसके मागे के प्रश्नोत्तर।)"हमारे सापियों को इसकी बहुत शिकायत है कि मानों में ताबा हवा पाने का बहुत खराब इन्तजाम है... उसका प्रबंध पाम तौर पर इतना ज्यादा खराब है कि मजदूर मुश्किल से सांस ले पाते हैं। कुछ समय तकसानों में काम करने के बाद हर किस्म के काम के लिये बेकार हो जाते हैं। बल्कि सच पूछिये, तो सान के जिस हिस्से मैं काम करता हूं, वहां काम करने वाले बहुत से मजदूरों को कुछ समय तक नौकरी करने के बाद इसी कारण काम छोड़कर घर चले जाना पड़ा है...वहां विस्फोटक गैस नहीं होती, वहां ताजा हवा के पाने की व्यवस्था इतनी खराब होती है कि उसके फलस्वरूप कुछ मजदूर हफ्तों के लिये बेकार हो गये हैं... मुख्य नालियों में पाम तौर पर काफी हवा होती है, पर जिन स्थानों पर मजदूर काम करते हैं, वहां तक हमा ले जाने की कोई कोशिश नहीं की जाती।" " 'तब भाप इंस्पेक्टर से क्यों नहीं कहते?" " पूछिये, तो इंस्पेक्टर से इसकी पर्चा करने में बहुत से भावमी उरते हैं। कई बार ऐसा हुमा है कि इंस्पेक्टर से इस बात की शिकायत करने वाले लोग बलि चढ़ गये हैं और नौकरी सो बैठे हैं।" "क्यों? क्या शिकायत करने वाले मजदूर का नाम नोट हो जाता है?" "पी हो।" "और उसको किसी पोरसान में भी काम नहीं मिलता?" "बी हो।" "या मापकी राय में मापके पास-पड़ोस की बानों का इतना काफी निरीमन होता रहता है कि उनके द्वारा कानून की पारामों का सुनिश्चित पालन करवाया जा सके?" "मी नहीं, उनका परा भी निरीक्षण नहीं होता... एक साल सात बरत से काम कर रही है और उसका निरीक्षण करने के लिये