पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/५६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मशीनें पौर माधुनिक उद्योग . केवल एक बार इंस्पेक्टर पाया है...जिस रिस्ट्रिक्ट में मैं रहता हूं, वहां इंस्पेक्टरों की संख्या पर्याप्त नहीं है। ७० वर्ष से अधिक मायु के एक वृद्ध व्यक्ति को १३० से अधिक कोयला- सानों का निरीक्षण करने का काम मिला हुआ है।" "पाप चाहते हैं कि सबनस्पेक्टरों की भी एक श्रेणी हो?" "पी हो।" (नं० २३४, २४१, २५१, २५४, २७४, २७५, ५५४, २७६, २९३१) "लेकिन क्या प्रापके खयाल में सरकार के लिये इंस्पेक्टरों की इतनी बड़ी सेना को नौकर रखना सम्भव होगा, जो बिना मजदूरों से कोई इत्तिला पाये वे सारे काम कर सके, जो पाप उससे कराना चाहते हैं?" "नहीं, मैं समझता हूं, यह बिलकुल असम्भव है"... "इंस्पेक्टर स्यावा जल्दी-जल्दी मायें, तो बेहतर होगा?" "जी हां, और उनको बिना बुलाये भाना चाहिये।" (नं० २८०, २७७।) "प्रापके विचार में, इन इंस्पेक्टरों से इतनी जल्दी- जल्दी कोयला-खानों का निरीक्षण कराने का यह प्रसर तो नहीं होगा कि ताजा हवा के उचित इन्तजाम की जिम्मेदारी (1) कोयला-सानों के मालिकों से हटकर सरकारी कर्मचारियों के कंधों पर पा जायेगी?" "मी नहीं, में ऐसा नहीं सममता। मेरे विचार में इंस्पेक्टरों का काम यह होना चाहिये कि पहले से मौजूब कानूनों को अमली जामा पहनायें।" (नं० २८५) "जब पाप सब-इंस्पेक्टरों की बात करते हैं, तो क्या प्रापका यह मतलब है कि वर्तमान इंस्पेक्टरों से कम योग्यता वाले व्यक्तियों को कम तनखाह पर नियुक्त किया जाये? ""अगर बेहतर मादमी मिल सकें, तो मैं यह नहीं चाहूंगा कि कम योग्यता वाले भावमी नियुक्त किये जायें।" (नं० २९४१) "पाप महत ज्यादा इंस्पेक्टर चाहते हैं या अपेक्षाकृत निम्न वर्ग के व्यक्तियों को इंस्पेक्टरों के रूप में चाहते हैं ?" "ऐसा पादमी होना चाहिये, बो बराबर घूमता रहे और इसका जवाल रखे कि सब चीजें ठीक है या नहीं, और जिसे खुब अपने बारे में रन लगता हो।" (नं. २९५१) "यदि पापको यह इच्छा पूरी हो जाये और एक निम्न श्रेणी के इंस्पेक्टर नियुक्त कर दिये जायें, तो क्या निपुणता के प्रभाव प्रावि से कोई खतरा नहीं होगा?" ". "नहीं, मेरे विचार में तो ऐसा कोई खतरा नहीं है। मैं समानता हूं, सरकार इसका खयाल रखेगी और इस पद पर सही पादमियों को नियुक्त करेगी।" (नं० २६७।) इस तरह की गिरह पाखिर समिति के अध्यक्ष को भी नागवार मालूम होती हैं, और वह बीच में बोल उठता है : "प्राप यह चाहते हैं न कि कुछ ऐसे लोग हों, जो खान की तमाम तफ़सीली बातों की जांच कर सकें, एक-एक कोने में घुसकर हर चीन को देख सकें और असलियत का पता लगा सकें.. और ये लोग मुल्य इंस्पेक्टर को रिपोर्ट दिया करें और वह तब उनके बताये हुए तथ्यों पर अपने वैज्ञानिक मान के प्रकाश में विचार किया करे?" (नं० २९८, २९६1) "यदि इन तमाम पुरानी सानों में ताजा हवा का इन्तजाम किया गया, तो क्या इसमें बहुत ज्यादा खर्चा नहीं हो जायेगा?" "हां, खर्चा तो होगा, पर साथ ही मनुष्यों के जीवन की सुरक्षा की व्यवस्था भी हो जायेगी। (नं० ५३११) एक सान-मजदूर ने १८६० के कानून की १७ वी धारा पर मापत्ति की। उसने कहा: 'पानकल यदि खानों का इंस्पेक्टर यह पाता है किसान का कोई हिस्सा इस लायक नहीं है कि यहां काम किया जाये, तो उसे जान-मालिक को और गृह मन्त्री को रिपोर्ट भेजनी पड़ती है। उसके बाद २० दिन का समय मालिक को इस मामले की जांच करने के लिये दिया जाता है। २० दिन पूरे हो जाने पर मालिक को यह अषित होता है किसान में कोई भी तबदीली करने से इनकार कर है। लेकिन ऐसा करने पर जान के मालिक को गृह मन्त्री को सूचना देनी पड़ती है और साथ ही पांच इंजीनियरों को नामबब करना पड़ता है। पुन मालिक के नामवर किये हुए इन पांच चीनियरों में से किसी एक या दो-तीन को गृह .. . 11