सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/५९४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

श्रम-शक्ति के दाम में और अतिरिक्त मूल्य में होने वाले परिमाणात्मक परिवर्तन ५६१ . . चूंकि वह मूल्य, जिसमें दिन भर का भम निहित होता है, दिन की लम्बाई के साथ- साप बढ़ता जाता है, इसलिये यह बात स्पष्ट है कि प्रतिरिक्त मूल्य और मम-शक्ति का नाम दोनों समान या असमान मात्रामों में एक साथ बढ़ सकते हैं। इसलिये इन दोनों का साथ-साथ बढ़ना को मूरतों में मुमकिन होता है एक, उस वक्त, जब काम के दिन को सचमुच लम्बा किया जाता है, पौर, दूसरे, उस बक्त, बब मन की तीवता बढ़ जाती है, जिसके साथ-साथ काम के दिन की लम्बाई नहीं बढ़ायी जाती। बब काम के दिन की लम्बाई बढ़ायी जाती है, तब भम-शक्ति का नाम उसके मूल्य के भी नीचे गिर सकता है, हालांकि मुमकिन है कि यह राम नामचारे के लिये ज्यों का त्यों रहे, या यहां तक कि कुछ बढ़ भी गाये। पाठक को याद होगा कि एक दिन की श्रम-शक्ति के मूल्य का अनुमान इस माघार पर लगाया जाता है कि सामान्यतया उसकी पोसत अवधि कितनी होती है, या मजदूर सामान्यतया कितने समय तक सिन्दा रहते हैं, और मनुष्य की प्रकृति के अनुसार संगठित शारीरिक पदार्य सामान्यतया किस प्रकार गति में रूपान्तरित होता है। काम के दिन के लम्बा कर दिये जाने पर मम-शक्ति की पिसाई अनिवार्य रूप से बढ़ जाती है, पर एक बिनु तक बढ़ी हुई मजदूरी कर इसकी क्षतिपूर्ति की जा सकती है। लेकिन इस बिन्तु के मागे घिसाई गुणोत्तर मेटी के अनुसार बढ़ती जाती है और मम-शक्ति के सामान्य पुनरुत्पावन और उसके व्यवहार में पाने के लिये जितनी परिस्थितियां प्रावश्यक होती हैं, सब अस्त-व्यस्त हो जाती है। तब मम-शक्ति का नाम और उसके शोषण की मात्रा सम्मेय राशियां नहीं रहती। ४. श्रम की अवधि, उत्पादकता और तीव्रता में एक साथ परिवर्तन होते हैं यह बात स्पष्ट है कि इस स्थिति में कई प्रकार के योग सम्भव है। किन्हीं भी दो तत्वों में परिवर्तन हो सकते हैं और तीसरा तत्व स्थिर रह सकता है, या तीनों में एकबारगी परिवर्तन हो सकता है। ये तीनों एक ही या अलग-अलग मात्रामों में बदल सकते हैं। वे एक विशा में या भिन्न-भिन्न विभागों में बदल सकते हैं, जिसका यह नतीजा हो सकता है कि तीनों तत्वों के परिवर्तन पूरी तरह या प्राधिक म में एक दूसरे के प्रसर को खतम कर हैं। फिर भी १,२ और ३ में दिये गये निकों के प्राचार पर प्रत्येक सम्भव बशा का विश्लेषण किया जा सकता है। बारी-बारी से एक-एक तत्व को अस्थिर और बाकी दो तत्वों को बनती तौर पर स्थिर मानकर हर सम्भव योग के प्रभाव का पता लगाया जा सकता है। इसलिये यहाँ पर हम केवल दो महत्त्वपूर्ण उदाहरणों पर ही और वह भी बहुत संक्षेप विचार करेंगे। 'एक मादमी २४ घण्टे में कितना श्रम करता है, उसका कुछ मोटा सा अनुमान यह देखकर लगाया जा सकता है कि उसके शरीर में कौन-कौन से रासायनिक परिवर्तन हो गये है। पदार्थ के बदले हुए रूपों से यह मालूम हो जायेगा कि उनके पहले कितनी जीवन-शक्ति व्यवहार में पा चुकी है।" (Grove, "On the Correlation of Physical Forces" [ग्रोव, 'भौतिक शक्तियों के पारस्परिक सम्बंध के विषय में']1)