पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/६३३

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पूंजीवादी उत्पादन १८३३ के पटरी-मायोग के एक सबस्य, ० रब्लयू. कोवेल कताई के व्यवसाय की बहुत म्यानपूर्वक जांच-पड़ताल करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे थे कि "योरपीय महाद्वीप की अपेक्षा इंगलड में पूंजीपति के दृष्टिकोण से मजदूरी कम वस्तुतः है, हालांकि मजदूर के दृष्टिकोण से बह अधिक है।" (Ure, पृ० ३१४१) अंग्रेज फ्रेक्टरी-स्पेक्टर एलेक्वानर रेव ने अपनी ३१ अक्तूबर १८६६ की रिपोर्ट में योरपीय राज्यों के प्रांकड़ों के साथ इंगलेज के प्रांकड़ों का मुकाबला करके यह साबित किया है कि अपेक्षाकृत कम मजदूरी और लम्बे भन-काल के बावजूद पैदावार के अनुपात में योरपीय श्रम अंग्रेजी श्रम से अधिक महंगा पड़ता है। मोल्नबुर्ग में स्थित एक सूती फेक्टरी के अंग्रेस मैनेजर का कहना है कि उनके यहां शनिवार समेत काम का समय सुबह ५.३० बजे से रात के ८ बजे तक है, मगर जर्मन मखदूर अंग्रेस निरीक्षकों की देखरेख में काम करते हुए भी उतनी पैदावार नहीं तैयार कर पाते, जितनी पैदावार अंग्रेज मजदूर १० घण्टे में तैयार कर देते हैं, और जर्मन निरीक्षकों की मातहती में तो और भी कम पैदावार तैयार करते हैं। यहां इंगलैण की अपेक्षा मजदूरी बहुत कम है, बहुत से स्थानों में तो बह ५० प्रतिशत कम है, लेकिन मशीनों के अनुपात में मजदूरों की संख्या यहाँ बहुत अधिक है। कुछ विभागों में तो यह अनुपात ५:३ का है। मि० रेषेव नेल्सको सूती फैक्टरियों के विषय में बहुत विस्तृत सूचना दी है। उनको ये तन्य एक अंग्रेज मैनेजर से प्राप्त हुए थे, बो अभी हाल तक म्स में नौकर पा। इस स्सी धरती पर, जहाँ सभी प्रकार के कलंक खूब फलते-फूलते हैं, इंगलंड की पटरियों के प्रारम्भिक काल की तमाम विभीषिकाएं भान भी अपने पूरे बोर के साथ विलाई देती हैं। मैनेवर लोग, बाहिर है, यहां भी अंग्रेज है, क्योंकि स्सी पूंजीपति पर पटरी-व्यवसाय में किसी मतरफ का नहीं होता। इन फेक्टरियों में दिन-रात लगातार कमर-तोर काम लिया जाता है और सारी शर्म और हया को ताक पर रखकर मखदूरों को बहुत ही कम मजदूरी दी जाती है, मगर इस सब के बावजूद सी फ्रक्टरी उत्पावन केवल इसीलिये जिन्दा है कि विदेशी प्रतियोगिता पर रोक लगा दी गयी है। अन्त में में मि० रेव की तैयार की हुई वह तुलनात्मक तालिका दे रहा हूं, जिसमें बताया गया है कि योरप अलग-अलग देशों में हर फ्रेपटरी के पीछे पार कताई करने वाले हर मजदूर के पीछे तकुओं की पोसत संख्या कितनी है। मि० रेव ने खुद लिखा है कि उन्होंने ये प्रांकड़े कुछ वर्ष पहले बमा - ... का वास्तविक दाम वह है, जो मालिक को किसी निश्चित मात्रा का काम कराने के लिये सचमुच खर्च करना पड़ता है, और इस दृष्टि से धनी देशों में गरीब देशों की अपेक्षा श्रम लगभग सभी जगह सस्ता होता है, हालांकि अनाज के और खाने-पीने की अन्य वस्तुओं के दाम गरीब देशों में धनी देशों की अपेक्षा बहुत कम होते है... दिन के हिसाब से श्रम का दाम इंगलैण्ड की अपेक्षा स्कोटलण्ड में बहुत कम है इंगलैण्ड में कार्यानुसार मजदूरी भाम ate Re Tu I" (James Anderson, "Observations on the Means of Exciting a Spirit of National Industry, &c." [जेम्स ऐण्डसन, 'राष्ट्रीय उद्योग की भावना पैदा करने के साधनों के विषय में कुछ टिप्पणियां , मादि'], Edinburgh, 1777, पृ० ३५०, ३५१।) इसके विपरीत , मगर मजदूरी कम होती है, तो श्रम महंगा हो जाता है। " इंगलैण्ड की अपेक्षा पायरलैण्ड में श्रम अधिक महंगा है। क्योंकि वहां मजदूरी उतनी ही कम है।" ("Royal Commission on Railways, Minutes" ['रेलों सम्बन्धी शाही पायोग का मत'], 1867, अंक २०७४।).