६५० पूंजीवादी उत्पादन इसलिये, पूंजीवादी उत्पादन एक निरन्तर चलने वाली सम्बा पिया के रूप में, या पुनरुत्पादन की किया केस में, फेवल मालों का या केवल अतिरिक्त मूल्य का ही उत्पादन नहीं करता, बल्कि वह पूंजीवादी सम्मांध का, एक तरल पंजीपति का तथा दूसरी तरफ मजदूरी पर श्रम करने वाले मजदूर का भी उत्पादन पौर पुनरुत्पादन करता है। 1"पूजी के लिये मजदूरी का और मजदूरी के लिये पूंजी का अस्तित्व प्रावश्यक है। उनमें से प्रत्येक दूसरे के प्रस्तित्व के लिये जरूरी है, और दोनों एक दूसरे को जन्म देते हैं। क्या किसी सूती मिल में काम करने वाला मजदूर सूती सामान के सिवा और कुछ नहीं पैदा करता? नहीं , वह पूंजी पैदा करता है। वह उन मूल्यों को पैदा करता है, जिनसे उसके श्रम पर को नया अधिकार प्राप्त हो जाता है, और इस अधिकार के द्वारा यह नये मूल्य पैदा करता है।" (Karl Marx, "Lohaarbeit und Kapital" [कार्ल मार्स, 'मजदूरी और पूंजी']; "Neue Rheinische Zeitung", अंक २६६, ७ अप्रैल १८४६, में ; "Neue Rheinische Zeitung" में उपर्युक्त शीर्षक से जो लेख प्रकाशित हुए थे, वे मेरे कुछ भाषणों के अंश थे। मैंने ये भाषण इसी विषय पर १८४७ में सेल्स की “Arbeiter-Verein" ('मजदूर- परिषद') के सामने दिये थे, और फरवरी की शान्ति के कारण उनका प्रकाशन बीच में ही रुक गया था।
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