६८० पूंजीवादी उत्पादन उसकी सहायता को न पातीं और उसे कात म गलती, तो वह उसी तरह पड़ी रहती। मशीनों के रूप में निहित श्रम, बाहिर है, प्रत्यक्ष रूप से तो एक भी मजदूर को पैदा नहीं कर सका, परन्तु उसके कारण मजदूरों की पहले से कम संख्या के लिये अपेक्षाकृत कम नये जीवित भम के साथ न केवल उसका उत्पादक ढंग से उपभोग करना और उसमें नया मूल्य जोड़ना सम्भव हो गया, बल्कि वे उन के पागे प्रावि के रूप में उसके पुराने मूल्य को सुरक्षित रखने में भी कामयाब हुए। साथ ही उसके कारण उन के पहले से अधिक पुनरुत्पादन की प्रेरणा मिली पौर प्रषिक पुनरूत्पादन होने लगा। बीवित भम में यह स्वाभाविक गुण होता है कि वह नया मूल्य उत्पन्न करने के साथ-साथ पुराना मूल्य भी स्थानांतरित कर देता है। इसलिये जब उत्पादन के साधनों की कार्य-क्षमता, विस्तार तथा मूल्य में वृद्धि होती है और उसके फलस्वरूप जब उत्पादक शक्ति के विकास के साथ-साथ संचय होता है, तो श्रम एक निरन्तर बढ़ते हुए पूंजी-मूल्य को नित नये रूप में कायम रखता है और उसे अजर-अमर बना देता है। श्रम
- Friedrich Engels, “Die Lage der arbeitenden Klasse in England"
(फ्रेडरिक एंगेल्स , 'इंगलैण्ड के मजदूर-वर्ग की हालत'), पृ० २० । 'प्रामाणिक अर्थशास्त्र ने चूंकि श्रम-क्रिया का और मूल्य पैदा करने की क्रिया का सही-सही विश्लेषण नहीं किया है, इसलिये , जैसा कि रिकार्डो की रचनाओं में देखा जा सकता है, वह पुनरुत्पादन के इस महत्त्वपूर्ण तत्व को कभी नहीं समझ पाया है। मिसाल के लिये, रिकार्डो ने लिखा है कि उत्पादक शक्ति में चाहे जैसा परिवर्तन मा जाये, “दस लाख व्यक्ति उद्योगों में सदा उतना ही मूल्य पैदा करते हैं।" यह बात बिल्कुल सही है, बशर्ते कि इन व्यक्तियों के श्रम का विस्तार और तीव्रता पहले से निश्चित हों। मगर फिर भी यह मुमकिन है (और कुछ निष्कर्ष निकालते समय रिकार्डो यह बात अनदेखी कर जाते हैं) कि यदि दस लाख व्यक्तियों का श्रम भिन्न-भिन्न स्तर की उत्पादकता का हो, तो वे उत्पादन के साधनों की बहुत भिन्न राशियों को पैदावार में रूपान्तरित करेंगे और इसलिये अपनी-अपनी पैदावार में मूल्य की भिन्न- भिन्न राशियों को सुरक्षित रखेंगे, जिसके फलस्वरूप उनकी उत्पादित वस्तुओं के मूल्य में भी बहुत अन्तर होगा। यहां चलते-चलते हम यह भी बता दें कि रिकार्डो ने इसी उदाहरण के द्वारा जे० बी० से को यह समझाने की वृथा कोशिश की थी कि उपयोग-मूल्य (जिसे रिकार्डो ने वहां wealth [धन] या भौतिक सम्पदा कहा था) और विनिमय-मूल्य में क्या अन्तर होता है। to otto tute faet: Quant à la difficulté qu'élève Mr. Ricardo en disant que, par des procédés mieux entendus un million de personnes peuvent produire deux fois, trois fois autant de richesses, sans produire plus de valeurs, cette difficulté n'est pas une lorsque l'on considère, ainsi qu'on le doit, la production comme un échange dans lequel on donne les services productifs de son travail, de sa terre, et de ses capitaux, pour obtenir des produits. C'est par le moyen de ces services productifs, que nous acquérons tous les produits qui sont au monde. Or... nous sommes d'autant plus riches, nos services productifs ont d'autant plus de valeur qu'ils obtiennent dans l'échange appelé production une plus grande quantité de choses utiles." ["मि. रिकार्गे यह ऐतराज करते हैं कि उन्नत प्रक्रियानों के द्वारा दस लाख व्यक्ति पहले से दुगुना या तिगुना धन पैदा कर सकते है, की यह स्वाभाविक शक्ति उस पूंची का नैसर्गिक गुण प्रतीत होने लगती है, जिसमें इस