पूंजीवादी उत्पादन . १८६४ में ग० साइमन ने रिपोर्ट दी थी कि सैबेनप्रोक्स की सार्वजनिक Nuisances Removal Committee (अनुत्रास अपनयन समिति) के अध्यक्ष ने गृह मंत्री, सर मार्च के पास यह शिकायत भेजी बी: 'लगभग बारह महीने पहले इस इलाके में चेचक का एक भी बीमार कहीं देखने को नहीं मिलता था। पर उसके कुछ समय पहले यहां लेवीशेम से टनविज तक रेल की लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ। इस सम्बंध में मुख्य काम इस नगर के बिल्कुल पास होना था। इसके अलावा, यहां पूरे काम का डिपो खोल दिया गया था, जिसकी वजह से यहाँ लाखिमी तौर पर बहुत बड़ी संख्या में लोगों को नौकर रखा गया। इन सब के लिये कस्बे के घरों में स्थान मिलना असम्भव था; इसलिये जहां-जहां काम होना था, वहाँ ठेकेदार मि० मे ने इन मजदूरों के रहने के लिये झोंपड़ों की लाइन खड़ी कर दी। इन झोंपड़ों में न तो साफ़ हवा के पाने की कोई व्यवस्था पी और न ही गन्ने पानी के बाहर निकलने का कोई इन्तबाम वा। इसके अलावा, लाजिमी तौर पर उनमें बहुत भीड़ थी, क्योंकि हालांकि हर मोपड़े में केवल दो कोठरियां थीं, पर उसमें रहने वाले हर मजदूर को, उसका अपना परिवार चाहे जितना बड़ा क्यों न हो, कुछ किरायेदारों को जगह देनी पड़ती थी। हमें जो गक्टरी रिपोर्ट मिली है, उसके मुताबिक इसका नतीजा यह हुमा किशोपड़ियों की लिड़कियों के ठीक नीचे व्हरे हुए गंदे पानी और पाखानों से उठने वाली बहरीली बदबू से बचने के लिये इन गरीब लोगों को खिड़कियां बन्द करके सोना पड़ता था और इसलिये सारी रात उनका बम घुटता रहता था। पाखिर एक गक्टर ने, जिसे इन मोपड़ों को देखने का अवसर प्राप्त हमा पा, सार्वजनिक अनुत्रास अपनयन समिति से शिकायत की। उसने रहने के स्थान के रूप में इन सोपड़ों की अत्यन्त कठोर शब्दों में निन्दा की और इस बात का भय प्रकट किया कि अगर सफाई का बन्दोबस्त करने के लिये कोई कार्रवाई नहीं की जाती, तो इसके बहुत खतरनाक नतीचे हो सकते हैं। लगभग एक वर्ष हुए मि० मे ने वायदा किया था कि वह अपना एक मोपड़ा इसके लिये अलग कर देंगे कि अगर उनके किसी मजदूर को कोई छूत की बीमारी हो जाये, तो उसको फौरन इस मॉपड़े में हटा दिया जाये। पिछली २३ जुलाई को उन्होंने यह वायदा फिर बोहराया, परन्तु हालांकि इस तारीख के बाद मि० जेके मोपड़ों में चेचक के कई केस हो चुके हैं और उसी बीमारी से दो मौतें भी हो चुकी हैं, पर फिर भी अपना वायदा पूरा करने के लिये उन्होंने प्राण तक कोई कदम नहीं उठाया है। सितम्बर को सर्जन मि० केल्सन ने मुझे रिपोर्ट दी कि इन्हीं मॉपड़ों में चेचक के और कई केस हो गये हैं, और उन्होंने बताया कि इन मॉपड़ों की हालत अत्यन्त लम्जाजनक है। पापकी (गृह मंत्री की) जानकारी के लिये में यह और मोड़ कि हमारे इलाके में और घरों से अलग एक मकान है, जो बीमारों का घर कहलाता है और वो इलाके के उन निवासियों के लिये सुरक्षित रहता है, जिनको सूत की बीमारियां हो जाती हैं। पिछले कई महीनों से यह मकान लगातार ऐसे बीमारों से भरा रहता है और इस समय भी भरा हुमा है। मैं यह भी बता दूं कि एक परिवार में पांच बच्चे चेचक और बुखार से मर गये हैं। इस साल हमारे इलाके में पहली अप्रैल से पहली सितम्बर तक, पांच महीने के अन्दर, कम से कम १० व्यक्ति पेषक से मर के है, जिनमें से चार उपर्युक्त मॉपड़ों के रहने वाले थे। और इस रोग से पनी तक कुल कितने लोग बीमार हो चुके हैं, इसकी सही संख्या का पता लगाना असम्भव है, हालांकि यह मानून है कि उनकी . . .
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