पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/७४९

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पूंजीवादी उत्पादन . . . ज्यादा खराब पौर महंगे घर सिर्फ़ मौनमाउपशायर के इसी प्रकार के इलाकों को छोड़कर इंगलैस में और कहीं नहीं मिल सकते... सबसे ज्यादा खराब बात यह है कि एक-एक कोठरी के अन्दर अनेक व्यक्ति रहते हैं, समीन के बरा से टुकड़े पर बहुत सारे घर खड़े कर दिये जाते हैं, पानी का प्रभाव है, पासाने नहीं है और अक्सर एक घर के ऊपर दूसरा घर खड़ा कर दिया जाता है या एक घर को कई परिवारों के रहने के लिये flats (फलों) में बांट दिया जाता है... जिसने खान पट्टे पर ले रखी है, वह ऐसा. व्यवहार करता है, जैसे पूरी बस्ती यहां रहती नहीं है, बल्कि उसने वहां महब पड़ाव गल रखा है।' गक्टर स्टीवेन्स ने लिखा है: “मुझे वो हिदायतें मिली थी, उनके मुताबिक मैंने ग्रहम यूनियन के अधिकतर कोपला-सानों वाले गांवों का निरीक्षण किया ..बहुत पोड़े अपवादों को छोड़कर इन सभी गांवों के बारे में माम तौर पर यह कहना सही होगा कि उनके निवासियों की स्वास्थ्य- रक्षा के लिये कोई भी कदम नहीं उठाया जाता... सभी कोयला-मजदूर बारह महीने के लिये ठेकेदार ("lessee") या मालिक के वास्ते काम करने के लिये बंधे होते हैं (bondage' ['प्रचीनता'] शब्द की तरह 'bound' ['बंधे होना'] भी कृषि-वास प्रथा के समाने का शव है)... यदि कोयला-मजदूर किसी प्रकार का प्रसंतोष व्यक्त करते हैं या किसी अन्य बात से अपने निरीक्षक को नाराब कर देते हैं, तो उनके नाम के प्रागे निशान लगा दिया जाता है या कुछ लिल दिया जाता है, और साल खतम होने पर अब फिर मजदूरों को बांधा जाता है, तो ऐसे तमाम मजदूरों को निकाल दिया जाता है... मुझे लगता है कि इन घने बसे हुए बिलों में जो हालत है, truck-system (जिन्स-मखदूरी प्रणाली) का कोई अंश उससे खराब नहीं हो सकता। कोयला-सान के मजदूर को मजबूरन एक ऐसा घर किराये पर लेना पड़ता है, जो चारों ओर से बीमारियों के प्रभावों से घिरा होता है। बहर अपनी मदद नहीं कर सकता, और इसमें काफी सन्देह मालूम होता है कि उसके मालिक के सिवा कोई और उसकी कुछ सहायता कर सकता है (क्योंकि हर दृष्टि से वह कृषि-पास होता है) (he is to all intents and purposes, a seri), और उसका मालिक हर चीन के लिये पहले अपना बही-साता देलता है, और उसका क्या नतीजा होता है, यह पहले से निश्चित रहता है। कोपला-मजदूर को अक्सर पानी भी मालिक की तरफ से मिलता है, और वह अच्छा हो या खराब, उसे उसके पैसे देने पड़ते हैं, या कहना चाहिये कि पानी के पैसे उसकी मजबूरी में से काट लिये जाते हैं।" 'जनमत" से या यहां तक कि स्वास्थ्य-अफसरों से भी कोई झगड़ा होता है, तो उसे प्रांतिक म में खतरनाक और माक्षिक रूप में पतन के गड़े में गिराने वाली इन परिस्थितियों को, जिनके भीतर बह मयूर के रिहायशी तथा मम सम्बन्धी बीवन को बन करके रखती है, उचित सिड करने में कोई कठिनाई नहीं होती। उसकी बलील यह होती है कि उसके मुनाफे के लिये ये परिस्थितियां पावश्यक है। अब पंची फ्रेपटरी में खतरनाक मशीनों से मजदूरों की रक्षा करने के लिये या नानों मावि में साफ हवा तथा सुरक्षा का प्रबंध करने के लिये किसी भी प्रकार के कदम का "परिवर्तन" करती है, तब भी वह यही क्लील देती है। यहां सान-मजदूरों के रहने के स्थानों के बारे में भी वही बात है। प्रिवी काउंसिल के मैटिकल असर, . . 1 "Public Health, Seventh Report, 1865" ('artufare Fille fit hicraft faute, १८६५'), पृ. १८०, १२। 'उप० पु०, पृ. ५१५, ५१७ ।