पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/७६३

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७६० पूंजीवादी उत्पादन भोजन की साप्ताहिक मात्रा नाइट्रोजनी | गैर-नाइटो बनिज पदार्थ अंश की जनी ग्रंश की की मात्रा मात्रा मात्रा प्रॉस प्रास प्रास २८.९५ ४.६८ ४.५२ प्राँस १८३.६६ १८७.०६ पोर्टलंग का दी. नहाती बेड़े का मल्लाह फ्रोबी सिपाही. बच्ची बनाने वाला कारीगर कम्पोजिटर तिहर मजदूर २५.५५ २४.५३ २१.२४ १७.७३ १५२.६१ ११४.४९ १६२.०६ १००.८३ ११८.०६ ४.२३ ३.१२ ३.२९ १९०.८२ १२५.१६ १३९.०८ . १९६३ के साक्टरी-कमीशन ने सबसे खराब भोजन पाने वाले वर्गों के लाने की जो जांच की थी, उसके सामान्य परिणामों से पाक पहले ही परिचित हो चुके हैं। उनको याद होगा कि लेतिहर मजदूरों के अधिकतर परिवारों का भोजन उस अल्पतम मात्रा से भी कम होता है, जो "भूल से पैदा होने वाली बीमारियों को दूर रखने के लिये" मावश्यक है। कोर्नवाल, वन, सोमरसेट, विल्ट्स, स्टेफर्ड, पोक्सफ़ोरं, बर्स और हेर्ट स जैसे तमाम विशुद्ध रूप से बेहाती रिस्ट्रिक्टों में खास तौर पर यह बात देखने में पाती है। ग०० स्मिथ ने कहा है: "बुद मजदूर को जितना पोषण मिलता है, वह मौसत मात्रा से कुछ अधिक होता है, क्योंकि वह परिवार के अन्य सदस्यों की अपेक्षा भोजन का स्यादा बड़ा हिस्सा खाता ताकि वह मेहनत कर सके, अधिक गरीब रिस्ट्रिक्टों में लगभग सारा मांस और सुबर का नमकीन गोश्त भी उसी के हिस्से में प्राता है मजदूर की बीवी और बच्चों को, उनके तेव विकास के काल में भी, मगभग प्रत्येक काउन्टी में अपर्याप्त भोजन मिलता है, जिसमें खास तौर पर नाइट्रोजन की बहुत कमी होतो है।"'बो नौकर-नौकरानियां काश्तकार के घर में रहते हैं, उनका काफी अच्छा पोषण होता है। परन्तु उनकी संख्या, जो १८५१ में २,८८,२७७ थी, १८६१ तक केवल २,०४,६६२ रह गयी थी। ग. स्मिथ ने लिखा है: "खेतों में स्त्रियों के काम करने से और जो भी बुराई पैदा होती हो,.. वर्तमान परिस्थिति में वह परिवार के लिये लाभदायक है, क्योंकि उससे माय में यह वृद्धि हो जाती है,.. जिससे बूते और कपड़े मा जाते हैं, किराया रे दिया जाता है और इसलिये जिसकी वजह से भोजन भी बेहतर मिलने लगता है" इस जांच से एक बहुत ही उल्लेखनीय निष्कर्ष यह निकला था कि संयुक्तांगल राज्य के अन्य भागों के खेत मजदूरों की तुलना में इंगलैग के खेतिहर ... 1 उप० पु०, पृ. २७४, २७५ । "Public Health. Sixth Report" ("सार्वजनिक स्वास्थ्य की छठी रिपोर्ट'), 1864, पृ०२३८ , २४६, २६१, २६२ । 'उप० पु०, पृ. २६२ ।