खेतिहर प्राबादी की जमीनों का अपहरण ८०६ १७ वीं शताबी के अन्तिम दशक में भी yeomarry-स्वतंत्र किसानों का वर्ग-काश्तकारों के वर्ग से संख्या में अधिक था। कोमवेल की शक्ति का मुख्य प्राधार ये ही लोग थे, और यहां तक कि मकोले भी यह बात मानता है कि शराब के नशे में पूर बीवारों और उनकी नौकरी करने वाले, उन बेहाती पादरियों की तुलना में, जिन्हें अपने मालिकों को छोड़ी हुई खलों के विवाह की व्यवस्था करनी पड़ती थी, ये स्वतंत्र किसान कहीं अधिक योग्य सिद्ध होते थे। १७५० के लगभग स्वतंत्र किसानों के इस वर्ग (yeomanry) का लोप हो गया था, और उसके साथ-साथ १८ वीं शताब्दी के मन्तिम दशक में खेतिहर मजदूरों की सामूहिक भूमि का भी माखिरी निशान तक गायब हो गया था। यहां हम खेती में होने वाली क्रान्ति के विशुद्ध प्रार्षिक कारणों पर विचार नहीं कर रहे हैं। यहां तो हम केवल जोर-जबर्दस्ती के तरीकों की चर्चा कर स्टुअर्ट राजवंश के पुनः सत्तामा हो जाने के बाद भू-स्वामियों ने कानूनी उपायों से एक ऐसा सत्ता-अपहरण किया, जो महावीपीय योरप में हर जगह बिना किसी कानूनी प्रौपचारिकता के सम्पन्न हुमा था। उन्होंने भूमि की सामन्ती व्यवस्था का पन्त कर दिया, अर्थात् उन्होंने भूमि को राज्य के प्रति तमाम जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया ; राज्य की "मति-पूर्ति" इस तरह की गयी कि किसानों पर और बाकी जनता पर कर लगा दिये गये जिन जागीरों पर उनको पहले केवल सामन्ती अधिकार प्राप्त था, उनपर उनको माधुनिक ढंग के निजी स्वामित्व का अधिकार मिल गया; और, अन्त में, उन्होंने बन्दोबस्त के ऐसे कानून ("laws of settlement") बना दिये , जिनका mutatis mutandis (कुछ प्रावश्यक परिवर्तनों के साथ) अंग्रेज खेतिहर मजदूरों पर वही प्रभाव हुमा, मो इसी किसानों पर तारि बोरिस गोदुनोव के फरमान का हुमा पा। "Glorious Revolution" ("गौरवशाली क्रान्ति ") के परिणामस्वरूप सत्ता औरेंज के विलियम के साथ-साथ अतिरिक्त मूल्य हड़पने वाले जमीवारों और पूंजीपतियों के हाथ में चली गयी।' उन्होंने सरकारी जमीनों की बहुत ही बड़े पैमाने पर लूट मचाकर नये युग का समारम्भ . 1 fed "A Letter to Sir T. C. Bunbury, Bart., on the High Price of Provi- sions. By a Suffolk Gentleman' ('खाद्य-वस्तुओं के ऊंचे दामों के बारे में सर टी. सी० बनबरी, बैरोनेट, के नाम एक पत्र - सफ़ोक के एक भद्र पुरुष द्वारा लिखित'), Ips- wich, 1795, पृ० ४। यहां तक कि बड़े कामों की प्रणाली के कट्टर समर्थक , "Inquiry into the Connexion between the Present Price of Provisions” ('alu-tagut it वर्तमान दामों और खेतों के प्रकार के सम्बन्ध की जांच , इत्यादि') (London, 1773) के लेखक ने भी (पृ. १३९ पर) यह लिखा है कि " स्वतंत्र किसानों के उस वर्ग (yeormanry) के नष्ट हो जाने पर मुझे अत्यधिक दुःख है, जिसने ही वस्ताव में इस राष्ट्र की स्वाधीनता को सुरक्षित रखा था, और मुझे यह देखकर बड़ा अफ़सोस होता है कि उन लोगों की जमीनें प्रब एकाधिकारी प्रभुषों के हाथों में चली गयी है, जो उनको छोटे काश्तकारों को लगान पर उठा देते हैं; पौर इन काश्तकारों के पट्टों के साथ ऐसी-ऐसी शर्ते लगी रहती हैं, जिनके फलस्वरूप उनकी दशा लगभग उन गुलामों के समान हो जाती है, जिन्हें मामूली सी गड़बड़ के लिये जवाब देना पड़ता है।" 3 इस पूंजीवादी नायक के निजी नैतिक चरित्र के विषय में, अन्य बातों के अलावा, यह अंश भी देखिये : "१६९५ में लेग मोकनी को मायरलैण्ड में जो बड़ी जागीर ईनाम में दी गयी,
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