पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/८१७

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८१४ पूंजीवादी उत्पादन . . समीनों के अपहरण का और उसके साथ-साथ देती में जो कान्ति मा गयी थी, उसका खेतिहर मजदूरों पर इतना बुरा प्रभाव पड़ा था कि ईडन के कवनानुसार मी १७६५ और १७८० के बीच उनकी मजबूरी मावश्यक अल्पतम मजदूरी से भी कम हो गयी थी और वे गरीबों के कानून के मातहत सार्वजनिक सहायता लेने लगे थे। ईडन ने लिखा है कि "जीवन के लिये नितान्त पावश्यक वस्तुएं खरीदने के लिये जो रकम बरूरी होती थी, लेतिहर मजदूरों की मजदूरी उससे अधिक नहीं होती थी।" अब एक क्षण के लिये एक ऐसे मादमी की बात भी सुनिये, जो enclosures (घरेवन्दी) का समर्षक और ग. प्राइस का विरोधी था। "यदि लोग खुले खेतों में व्यर्ष का श्रम करते नहीं दिखाई देते, तो इसका यह मतलब नहीं है कि प्राबादी कम हो गयी है... यदि छोटे काश्तकारों को दूसरों के वास्ते काम करने वाले मनुष्यों में परिणत करके उनसे पहले से अधिक मम कराया जाता है, तो इससे सारे राष्ट्र का लाभ होता है, और राष्ट्र को इसका स्वागत करना चाहिये" (पर, चाहिर है, कि जिन लोगों को इस प्रकार "परिणत किया गया है," वे इस राष्ट्र के सदस्य नहीं है) "...क्योंकि जब इन लोगों से एक कार्म पर संयुक्त श्रम कराया जाता है, तब पैदावार ज्यादा होती है, कारखानों के वास्ते अतिरिक्त पैदावार तैयार हो जाती है और इस तरह जितना अधिक अनाज पैदा होता है, उतनी ही प्रषिक कारखानों की वृद्धि होती है, जो राष्ट्र के लिये धन की सान का काम करते हैं। जब उत्पादन की पूंजीवादी प्रणाली की नींव गलने के लिये इसकी पावश्यकता होती है, तब “सम्पत्ति के पवित्र अधिकार" के अत्यन्त लज्जाहीन अतिक्रमण और व्यक्तियों पर अत्यन्त मॉड़े हमलों को भी प्रशास्त्री जिस नि:स्पृह भाव और जिस निहिग्न मन के साथ देखता रहता . को बढ़ा सकते थे और खूब बच्चे पैदा कर सकते थे। प्रतएव शक्तिशाली व्यक्ति सारा धन अपने पास बींचे ले रहे थे और देश दासों से भर गया था। दूसरी मोर, इटालियनों की संख्या बराबर कम होती जाती थी, क्योंकि उनको गरीबी, कर और सैनिक सेवा खाये जा रही पीं। यहां तक कि जब शान्ति के दिन माये, तब भी ये लोग निष्क्रिय ही बने रहे, क्योंकि जमीन धनियों के कब्जे में थी, जो उसे जुतवाने के लिये स्वतंत्र मनुष्यों के बजाय दासों से काम लेते थे।" (Appian, "Roman Civil Wars" [एप्पियन , रोम के गृह-युद्ध'], खण्ड १,७।)इस अंश में लिसिनस के कानूनों के बनने के पहले के काल का वर्णन किया गया है। जिस सैनिक सेवा ने रोम के जन-साधारण की तबाही की क्रिया को इतना तेज कर दिया था, उसीने चालेमन के हाथों में स्वतंत्र जर्मन किसानों को जबर्दस्ती कृषि-दासों और क्रीत-दासों में रूपान्तरित कर देने के मुख्य साधन का काम किया। 1 "An Inquiry into the Connexion between the Present Price of Pro- visions, &c.” ('बाय-वस्तुओं के वर्तमान दामों और खेतों के प्राकार के सम्बंध की जांच, इत्यादि'), पृ० १२४, १२६ । निम्नलिखित उदरण इसके उल्टे दृष्टिकोण से लिखा गया है, पर उससे भी इसी मत की पुष्टि होती है : “ मजदूरों को उनको झोंपड़ों से खदेड़कर नौकरी की तलाश में शहरों में मारे-मारे फिरने के लिये मजबूर कर दिया जाता है; पर तब पहले से अधिक अतिरिक्त पैदावार तैयार होती है, और इस प्रकार पूंजी में वृद्धि होती है।" ("The Pe- rils of the Nation" ['राष्ट्र के लिये संकट की बातें'], दूसरा संस्करण, London, 1843, पृ. १४)