पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/८४३

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पूंजीवादी उत्पादन को शुल्लारू में काफी उलझन में गल देती है। १५ वीं शताब्दी के अन्तिम तैतीस वर्षों से ही वह लगातार यह शिकायत सुनता पाता है, हालांकि बीच-बीच में कुछ समय के लिये यह शिकायत सुनाई नहीं देती,-कि देहाती इलाकों में पूंजीवादी खेती का प्रसार बढ़ता मा रहा है और उसके फलस्वरूप किसानों का वर्ग नष्ट होता जा रहा है। दूसरी पोर, वह सदा यह भी देखता है कि किसानों का यह वर्ग हर बार नया जन्म लेकर सामने पा जाता है, हालांकि उसकी संख्या कम होती जाती है और उसकी हालत हर बार पहले से ज्यादा खराब दिखाई देती है। इसका मुख्य कारण यह है कि इंगलड कभी तो मुल्यतया अनाज पैदा करने वाला देश बन जाता है और कभी मुख्यतया पशुओं का प्रजनन करने वाले देश का रूप धारण कर लेता है। पौर के रूप बारी-बारी से सामने पाते रहते हैं और उनके साथ-साप किसानों की खेती का विस्तार भी घटता-बढ़ता रहता है। केवल, और अन्तिम रूप से, मानिक उद्योग ही पूंजीवादी संती का स्थायी प्राधार-मशीनें - उसके लिये तैयार करता है। वही खेतिहर पावादी के अधिकांश की सम्पत्ति का पूरी तरह अपहरण करता है। वही खेती और बेहाती घरेलू उद्योग के अलगाव को सम्पूर्ण करता है और इस उद्योग की जड़ों को-कताई और बुनाई को- उखाड़कर फेंक देता है। और इसलिये, वही पहली बार प्रौद्योगिक पूंजी की पोर से पूरी घरेलू मण्डी पर विजय प्राप्त करता है।' , . - 1क्रोमवेल का समय इसका अपवाद था। जब तक प्रजातंत्र जीवित रहा, तब तक के लिए इंगलैण्ड की माम जनता का प्रत्येक स्तर उस पतन के गर्त से ऊपर उठ पाया था, जिसमें वह ट्यूडर राजामों के शासनकाल में डूब गया था। 'टकेट्ट को इस बात का ज्ञान है कि प्राधुनिक ऊनी उद्योग का मशीनों का प्रयोग प्रारम्भ होने के साथ-साथ वास्तविक हस्तनिर्माण से तथा देहाती एवं घरेलू उद्योगों के विनाश से जन्म 7 I (Tuckett, "A History of the Past and Present State of the Labouring Population" [टकेट्ट, 'श्रम करने वाली प्राबादी की भूतपूर्व और वर्तमान हालत का इतिहास], London, 1846, खण्ड १, पृ० १४1) डेविड उकुंहार्ट ने लिखा है : हल और जुए के बारे में कहा जाता है कि उनका प्राविष्कार देवताओं ने किया है और उनका उपयोग वीर लोग करते हैं। परन्तु क्या करघे, चर्खे और लाठ के जनक इतने श्रेष्ठ कुल के नहीं थे? लाठ पौर हल तथा चर्खे और जुए का सम्बंध-विच्छेद कर दीजिये,- आपके देखते-देखते फैक्टरियां और मुहताजलाने, जमी हुई साख और बदहवासी, एक दूसरे के शत्रु दो राष्ट्र-एक खेती करने वाला पौर दूसरा वाणिज्य और व्यवसाय करने वाला-मापके सामने खड़े हो जायेंगे।" (David Urquhart, उप० पु०,१० १२२।) परन्तु उ'हार्ट के बाद केरी पाते हैं और शिकायत करने लगते हैं -पौर उनकी शिकायत बेबुनियाद नहीं प्रतीत होती-कि इंगलैण्ड दूसरे हरेक देश.को महज एक खेतिहर राष्ट्र बना डालने की कोशिश कर रहा है और उन सबके लिये कारखानों का सामान तैयार करने वाला देश खुद बनना चाहता है। केरी दावा करते हैं कि तुर्की को इसी तरह बरबाद किया गया है, क्योंकि वहां "जमीन के मालिकों और जमीन के जोतने वालों को हल और कर तथा हथौड़े और हेंगे के बीच स्वाभाविक मैत्री स्थापित करके अपने को शक्तिशाली बनाने की इंगलैण्ड ने कभी अनुमति नहीं दी।" ("The Slave Trade" ['दासों का व्यापार', पृ० १२५।) केरी के मतानुसार, उ'हार्ट ने खुद भी तुर्की की तबाही में बहुत बड़ा हिस्सा लिया है, क्योंकि उसने वहां इंगलैण्ड के हित में स्वतंत्र व्यापार का प्रचार किया है। और सबसे बड़ा मजाक यह है कि केरी, जो कि रूस के बड़े प्रशंसक और प्रेमी है, बेती पौर घरेलू उद्योग के सम्बंध-विच्छेद की इस क्रिया को संरक्षण की उती प्रणाली के द्वारा रोकना चाहते है, जिससे उसे प्रोत्साहन मिलता है। "जिस प्रकार ईश्वर ने केन से 'उसके भाई एवेल के बारे में पूछा था, उसी प्रकार लोकोपकारी अंग्रेज प्रशास्त्री, जैसे मिल, रोजर्स ,गोल्डविन स्मिंप, फोसेट मादि, और उदारपंची .