पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१६७

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पूंजी का प्रावतं अयवा सामाजिक पैमाने के विचार से समन उत्पादन में भी स्थायी पूंजी के मरम्मत के माय जुड़े निरन्तर, प्रांशिक पुनल्सादन के उदाहरण का काम दे सकती है। चालाक निदेशक मंडल लाभांग खींचने के उद्देश्य से मरम्मत और प्रतिस्थापन शब्दों के व्यवहार में किस हद तक हेरा-फेरी करते हैं, इसका सबूत यह है। पार० पी० विलियम्म के उपरिउद्धृत निबंध के अनुसार, विभिन्न अंग्रेज़ी रेल कम्पनियों ने स्यायी मार्ग यार इमारतों के अनुरक्षण और मरम्मत के लिए अनेक वर्षों तक के ग्रासत वर्ष के रूप में (प्रति अंग्रेज़ी मील सालाना के हिसाब से ), निम्नलिखित राशियां प्राय खाते में से बट्टे खाते में डाली थीं। ३७० पाउंड २२५ . लण्डन एण्ड नार्थ वेस्टर्न मिडलैण्ड . लण्डन एण्ड साउथ वेस्टर्न ग्रेट नॉन लंकाशायर एण्ड यॉर्कशायर साउथ ईस्टनं. ब्राइटन मैनचेस्टर एण्ड शेफ़ील्ड २५७ ३६० ३७७ २६३ २०० 11 ये अन्तर वास्तविक व्यय में अन्तर से बहुत ही अल्प मात्रा में उत्पन्न होते हैं ; वे लगभग पूर्णतः इसके अनुसार कि खर्च की मदें पूंजी खाते में डाली जाती हैं या अाय खाते में हिसाब के विभिन्न तरीकों के कारण ही पैदा होते हैं। विलियम्स स्पप्टतया कहते हैं कि कम खर्च इसलिए दर्ज किया जाता है कि वह अच्छे लाभांश के लिए जरूरी होता है, और ज्यादा खर्च इसलिए दर्ज किया जाता है कि प्राय ज्यादा होती है, जो उसे बरदाश्त कर सकती है। कुछ स्थितियों में छीजन और इसलिए उसका प्रतिस्थापन व्यवहार में अति सूक्ष्म होता है, जिससे मरम्मत खर्च के अलावा और कुछ खर्चे में नहीं डालना पड़ता। रेल निर्माण में works of art के बारे में लार्डनर का निम्न कथन आम तौर से गोदियों, नहरों, लोहे और पत्थर के पुलों, इत्यादि जैसे सभी टिकाऊ निर्माणों पर लागू होता है। ज्यादा सुदृढ़ निर्माणों की समय के मंथर प्रभाव से जो छीजन होती है, उसे अल्प अवधि में देखा जाये , तो परिमाण नितान्त अगोचर होता है; किन्तु दीर्घ अवधियों , यथा शताब्दियों के पश्चात , सुदृढ़तम निर्माणों में से भी कुछ का अथवा सब का भी पुनर्निर्माण अनिवार्य हो जाता है। इन परिवर्तनों की ब्रह्मांड के विराट पिण्डों की गतियों में आनेवाली नियतकालिक तथा दीर्घकालिक असमताओं के साथ तुलना करना असमीचीन न होगा। रेलमार्गों पर पुलों, सुरंगों , मार्ग सेतुओं , इत्यादि जैसे अधिक विशालाकार works of art पर समय की क्रिया ऐसी मिसालें प्रस्तुत करती है, जिन्हें दीर्घकालिक ठीजन कहा जा सकता है। अधिक तीव्र तथा प्रत्यक्ष अपकपं, जिसे अल्पकालिक अंतरालों पर मरम्मत या पुनर्निर्माण द्वारा ठीक कर लिया जाता है, नियतकालिक असमतात्रों के सदृश्य है। सालाना मरम्मत में यदा-कदा होनेवाली वह क्षति शामिल है, जो अधिक सुदृढ़ और टिकाऊ निर्माणों के बाहरी ढांचे को समय-समय पर होती है ; किन्तु इस बावजूद काल इन निर्माणों तक पर अपना प्रभाव डालता है, और वह समय चाहे जितनी दूर हो, एक दिन यायेगा ही, जव इनकी ऐसी दशा हो जायेगी कि इनका नये सिरे से निर्माण अनिवार्य हो जायेगा। वित्तीय और आर्थिक प्रयोजनों से वह समय शायद इतनी दूर - मरम्मत