पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१६९

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१६- अध्याय पेशगी पूंजी का कुल आवर्त । आवर्त चक्र - , हम देख चुके हैं कि उत्पादक पूंजी के स्थायी तथा प्रचल संघटक अंश विभिन्न अवसरों पर और विभिन्न प्रकार से प्रावर्तित होते हैं। हम यह भी देख चुके हैं कि किसी व्यवसाय में स्थायी पूंजी के विभिन्न संघटक अंशों का प्रावर्त काल उनके भिन्न टिकाऊपन और इसलिए भिन्न पुनरुत्पादन काल के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है। ( एक ही व्यवसाय में प्रचल पूंजी के विभिन्न घटकों के आवर्त में वास्तविक अथवा अाभासी अन्तर के बारे में इस अध्याय के अन्त में ६ के अन्तर्गत देखिये।) १. पेशगी पूंजी का कुल पावर्त उसके विभिन्न घटकों का औसत ग्रावर्त होता है। उसके परिकलन की विधि अागे बताई गई है। चूंकि यहां प्रश्न केवल विभिन्न कालावधियों का है, इसलिए उनका औसत निकालना बहुत ही आसान है। किन्तु २. हमारे सामने यहां परिमाणात्मक ही नहीं, गुणात्मक अन्तर भी है। उत्पादन प्रक्रिया में आनेवाली जो प्रचल पूंजी अपना सारा मूल्य उत्पाद को अंतरित कर देती है और इसलिए उत्पादन प्रक्रिया यदि व्यवधान के विना चालू रखनी है, तो उत्पाद की विक्री द्वारा उसका वस्तुरूप में निरन्तर प्रतिस्थापन जरूरी होगा। उत्पादन प्रक्रिया में दाखिल होनेवाली स्थायी पूंजी अपने मूल्य का एक भाग ( छीजन ) ही उत्पाद को अन्तरित करती है और इस छीजन के बावजूद वह उत्पादन प्रक्रिया में कार्यशील बनी रहती है। इसलिए उसका विभिन्न अवधियों के अंतरालों के वीतने से पहले और कम से कम प्रचल पूंजी के समान ही वारंवार प्रतिस्थापन अावश्यक नहीं होता। प्रतिस्थापन की यह आवश्यकता , पुनरुत्पादन की यह अवधि , स्थायी पूंजी के विभिन्न घटकों के लिए परिमाण में ही भिन्न नहीं होती, वरन , जैसा कि हम देख चुके हैं , बहुवर्षी स्थायी पूंजी का एक भाग , जो अधिक समय तक बना रहता है, वार्षिक अथवा अल्पतर अंतरालों पर प्रतिस्थापित किया जा सकता है और वस्तुरूप में पुरानी स्थायी पूंजी में जोड़ा जा सकता है। भिन्न विशेपतानों की स्थायी पूंजी के मामले में प्रतिस्थापन केवल उसके स्थायित्व काल के खत्म होने पर एकबारगी ही हो सकता है। इसलिए स्थायी पूंजी के विभिन्न भागों के विशिष्ट आवतों को एक समरूप आवर्त में परिणत करना आवश्यक होता है, जिससे कि वे केवल परिमाण की दृष्टि से , अर्थात यावर्त काल की अवधि के अनुसार भिन्न-भिन्न रहें। यदि हम उ उ को अपना प्रारम्भ विन्दु मानें, जो उत्पादन की निरन्तर प्रक्रिया का