पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१८३

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पूंजी का प्रावत . इसलिए ऐडम स्मिय के पास स्थायी पूंजी की परिभाषा देने को इसके सिवा फ़तई और कुछ नहीं रह जाता कि उत्पाद के विपरीत जिसके निर्माण में श्रम उपकरण सहायक होते हैं, ये धन उपकरण ही स्थायी पूंजी होते हैं, जो उत्पादन प्रक्रिया में अपनी शकल नहीं बदलते और उत्पादन में छीज जाने तक काम आते रहते हैं। वह भूल जाते हैं कि उत्पादक पूंजी के सभी तत्व अपने भौतिक रूप में (श्रम उपकरणों, सामग्री तथा श्रम शक्ति की तरह ) निरन्तर उत्पाद के और माल रूप में परिचालित उत्पाद के सामने रहते हैं और यह कि सामग्री तथा श्रम शक्तिवाले भाग और श्रम उपकरणोंवाले भाग में केवल यह अन्तर होता है : श्रम शक्ति के संदर्भ में यह कि उसे निरन्तर नये सिरे से खरीदा जाता है (श्रम उपकरणों के विपरीत जितने समय वह विद्यमान रहे, उतने समय के लिए नहीं)। सामग्री के सम्बन्ध यह कि श्रम प्रक्रिया की संपूर्ण अवधि में बिल्कुल वही सामग्री नहीं, वरन सदा उसी प्रकार की नई सामग्री कार्यशील रहती है। साथ ही यह ग़लत धारणा बन जाती है कि स्थायी पूंजी का मूल्य परिचलन में भाग नहीं लेता, यद्यपि निस्संदेह ऐडम स्मिथ ने स्थायी पूंजी की छीजन के लिए पहले यह कैफ़ियत दी थी कि वह उत्पाद की कीमत का एक हिस्सा होती है। प्रचल पूंजी को स्थायी पूंजी के प्रतिमुख रखते हुए इस तथ्य पर कोई ज़ोर नहीं दिया जाता कि यह प्रतिमुखता केवल इसलिए होती है कि यह उत्पादक पूंजी का वह घटक है, जिसे उत्पाद के मूल्य से पूर्णतः प्रतिस्थापित करना होता है और इसलिए जिसे उसके रूपान्तरणों में पूर्णतः भाग लेना होता है जब कि स्थायी पूंजी के साथ ऐसा नहीं होता। इसके बदले प्रचल पूंजी को उन रूपों के साथ उलझा दिया जाता है, जिन्हें पूंजी उत्पादन क्षेत्र से निकलकर परिचलन क्षेत्र में पहुंचते हुए माल पूंजी तथा द्रव्य पूंजी की हैसियत से धारण करती है। किन्तु माल पूंजी तथा द्रव्य पूंजी, ये दोनों ही रूप उत्पादक पूंजी के स्थायी और प्रचल , दोनों घटकों के वाहक हैं। दोनों ही उत्पादक पूंजी से भिन्न परिचलन पूंजी हैं, किन्तु वे स्थायी पूंजी से भिन्न प्रचल पूंजी नहीं हैं। अन्त में , इस पूर्णतः भ्रान्त व्याख्या के कारण कि मुनाफ़ा उत्पादन प्रक्रिया में रुकनेवाली स्थायी पूंजी द्वारा और इस प्रक्रिया को त्यागने और परिचालित होनेवाली प्रचल पूंजी द्वारा कमाया जाता है तथा प्रावतं में परिवर्ती पूंजी और स्थिर पूंजी के प्रचल घटक द्वारा अपनाये जानेवाले रूपों की एकरूपता के कारण स्वप्रसार को प्रक्रिया में तथा वेशी मूल्य निर्माण की प्रक्रिया में उनका तात्विक भेद छिप जाता है, जिससे पूंजीवादी उत्पादन का सारा रहस्य और भी प्रच्छन्न हो जाता है। "प्रचल पूंजी" की सामान्य संज्ञा इस तात्विक भेद को मिटा देती है। बाद में राजनीतिक अर्थशास्त्र एकमात्न और तात्विक सीमारेखा के रूप में परिवर्ती और स्थिर पूंजी के वपरीत्य पर नहीं, बल्कि स्थायी और प्रचल पूंजी के वपरीत्य पर जमे रहकर और भी आगे चला गया। स्थायी और प्रचल पूंजी को पूंजी निवेश की ऐसी दो विशेष पद्धतियों की संज्ञा देने के वाद, जिनमें से प्रत्येक अपने आप मुनाफ़ा देती है, ऐडम स्मिथ कहते हैं : 'प्रचल पूंजी के माध्यम के बिना कोई भी स्थायी पूंजी कोई प्राय नहीं दे सकती है। सबसे उपयोगी मशीनें और व्यवसाय के उपकरण भी ऐसी प्रचल पूंजी के बिना कुछ पैदा नहीं कर सकते जिसके वल पर वह सामग्री आती है, जिस पर उनका प्रयोग किया जाता है और इन मशीनों तथा उपकरणों को काम में लानेवाले मजदूरों का भरण-पोपण जुटता है" (पृष्ठ १८८) । यहां यह स्पष्ट हो जाता है कि “प्राय देने", "मुनाफ़ा कमाने ", अादि पूर्वप्रयुक्त शब्दों