पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२७६

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परिवर्ती पूंजी का आवर्त २७५ प उसकी पेणगी पूंजी कभी ५०० पाउंड से ज्यादा नहीं होती। अतः ५०० पाउंड की पेशगी पूंजी उस भिन्न का हर होती है, जो वेशी मूल्य की वार्पिक दर प्रकट करती है। इसके लिए हमारे वेप सं वे पास उपरोक्त सूत्र वे -वे'सं था। चूंकि वेशी मूल्य वे' की वास्तविक दर प के बरावर, वेशी मूल्य की उस परिवर्ती पूंजी से, जिसने उसे पैदा किया है, विभाजित मात्रा वे के बराबर है, इसलिए हम वे' सं में वे' के मूल्य की से प्रतिस्थापना कर सकते हैं., और प वे सं यह दूसरा सून प्राप्त कर सकते हैं : वे अपने १० गुने पावर्त और इस प्रकार अपनी पेशगी के १० गुने नवीकरण द्वारा ५०० पाउंड की पूंजी अपने से १० गुना बड़ी पूंजी, ५,००० पाउंड की पूंजी, का कार्य करती है , जैसे वर्ष में १० वार परिचालित होनेवाले ५०० शिलिंग भी वही कार्य करते हैं, जो केवल एक वार परिचालित होनेवाले ५,००० शिलिंग करते हैं। " २. वैयक्तिक परिवर्ती पूंजी का आवर्त समाज में उत्पादन की प्रक्रिया का रूप कुछ भी हो , यह आवश्यक है कि वह एक निरंतर चलनेवाली प्रक्रिया हो और एक निश्चित अवधि के वाद बार-बार उन्हीं अवस्थाओं में से गुज़रे ... इसलिए, यदि उत्पादन प्रक्रिया पर एक संवद्ध इकाई के रूप में और एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में विचार किया जाये , जो हर वार नये सिरे से प्रारंभ हो जाती है, तो उत्पादन की प्रत्येक सामाजिक प्रक्रिया साथ ही पुनरुत्पादन की भी प्रक्रिया होती है वेशी मूल्य पेशगी लगाई गई पूंजी की नियतकालिक वृद्धि की शक्ल में अथवा क्रियारत पूंजी के नियतकालिक फल की शक्ल में , पूंजी से उत्पन्न होनेवाली प्राय का रूप धारण कर लेता है" (Buch I, Kap. XXI, पृष्ठ ५८८, ५८६)। पूंजी क के प्रसंग में हमारे सामने ५ सप्ताह की १० आवर्त अवधियां हैं। पहली प्रावर्त अवधि में परिवर्ती पूंजी के ५०० पाउंड पेशगी लगाये जाते हैं ; अर्थात प्रति सप्ताह १०० पाउंड श्रम शक्ति में तवदील किये जाते हैं, जिससे पहली आवर्त अवधि खत्म होने तक श्रम शक्ति पर ५०० पाउंड ख़र्च होते हैं। ये ५०० पाउंड , जो मूलतः कुल पेशगी पूंजी का एक भाग थे, अव पूंजी नहीं रह गये हैं। वे मजदूरी में दे दिये जाते हैं। मजदूर अपनी बारी में निर्वाह साधनों की खरीद में ५०० पाउंड कीमत के निर्वाह साधनों का उपभोग करके खर्च कर देते हैं। अतः पण्य वस्तुओं की उतने ही मूल्य की मात्रा विनष्ट हो जाती है (द्रव्य आदि के रूप में मजदूर जो कुछ बचा लें, वह भी पूंजी नहीं होता)। जहां तक मजदूर का सवाल है, पण्य वस्तुओं की इस मात्रा का अनुत्पादक उपभोग हुआ है, सिवा इसके कि वह उसकी श्रम शक्ति की क्षमता बनाये रखती है, जो पूंजीपति के लिए एक अपरिहार्य उपकरण है। लेकिन दूसरी बात यह है कि ये ५०० पाउंड पूंजीपति के लिए उसी मूल्य (या क़ीमत )

  • हिंदी संस्करणः पृष्ठ ६३६ और ६३७ ।-सं०

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