पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३१८

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भूमिका ३१७ और उत्पादन साधनों का वितरण समाज करता है। उत्पादक वेशक वाउचर पा सकते हैं, जिनसे उन्हें उपयोज्य वस्तुओं की सामाजिक पूर्ति से अपने श्रम काल के अनुरूप कोई एक मात्रा ग्राहारित करने का अधिकार मिल सकता है। ये वाउचर द्रव्य नहीं हैं। उनका परिचलन नहीं होता। द्रव्य पूंजी की आवश्यकता चूंकि कार्य अवधि की दीर्घता से पैदा होती है, इसलिए हम देखते हैं कि यह दो वातों से प्रतिबंधित होती है : पहली बात यह कि सामान्यतः द्रव्य वह रूप है, जिसमें प्रत्येक वैयक्तिक पूंजी ( उधार को छोड़कर) को अपने को उत्पादक पूंजी में बदलने के लिए प्रकट होना होता है ; यह पूंजीवादी उत्पादन की और सामान्यतः माल उत्पादन की प्रकृति से उत्पन्न परिणाम है। दूसरी बात यह कि आवश्यक द्रव्य पेशगी का परिमाण इस परिस्थिति से बनता है कि समाज से श्रम शक्ति और उत्पादन साधनों का अपेक्षाकृत दीर्घ काल तक उस दौरान उसे द्रव्य में परिवर्तनीय उत्पाद के प्रत्यर्पण के विना लगातार अाहरण किया जाता है। पहली शर्त कि पेशगी दी जानेवाली पूंजी द्रव्य रूप में पेशगी दी जाये, स्वयं इस द्रव्य के रूप से विलुप्त नहीं हो जाती , चाहे यह द्रव्य धातु मुद्रा, उधार द्रव्य , प्रतीक मुद्रा, आदि कुछ भी क्यों न हो। दूसरी शर्त पर इसका किसी भी तरह कोई असर नहीं पड़ता कि परिचलन से किसी समतुल्य के प्रत्यावर्तन के विना कौन से द्रव्य माध्यम द्वारा अथवा उत्पादन के कौन से रूप में श्रम , निर्वाह साधन और उत्पादन साधन आहारित किये जाते हैं।